नई दिल्ली: एक देश-एक कर के बाद अब केंद्र सरकार ‘एक राष्ट्र, एक समय’ की अवधारणा को लागू करने की दिशा में निर्णायक कदम उठा रही है। पूरे देश में एक समान, सटीक और सुरक्षित समय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र ने भारतीय मानक समय को सभी आधिकारिक और वाणिज्यिक मंचों पर अनिवार्य करने का मसौदा तैयार कर लिया है। यह प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है और जल्द ही भारतीय मानक समय नियम-2025 लागू किया जाएगा।
अब तक देश की समय प्रणाली काफी हद तक अमेरिका और अन्य देशों की सैटेलाइट आधारित समय प्रणालियों पर निर्भर रही है। लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद भारत अपने अधिकृत समय को स्वयं नियंत्रित करेगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दिल्ली में आयोजित ‘समय प्रसार सम्मेलन’ में कहा कि भारतीय मानक समय को देश के सभी कानूनी, प्रशासनिक और व्यापारिक कार्यों के लिए एकमात्र मान्य समय के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इसके साथ ही अन्य किसी भी समय स्रोत का उपयोग वैध नहीं माना जाएगा।
प्रह्लाद जोशी ने बताया कि देश में पांच आधुनिक टाइम लैब—अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी—में इस मानक समय प्रणाली के लिए परमाणु घड़ियों के साथ नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (एनटीपी) और प्रिसीजन टाइम प्रोटोकॉल (पीटीपी) आधारित संरचना विकसित की जा रही है। परमाणु घड़ियां करोड़ों वर्षों में केवल एक सेकंड का अंतर दिखाती हैं, जिससे भारत को माइक्रोसेकंड तक सटीक समय उपलब्ध हो सकेगा।
इस नई समय प्रणाली से भारत न केवल डिजिटल रूप से स्वावलंबी बनेगा, बल्कि साइबर सुरक्षा को भी बल मिलेगा। अभी अधिकांश डिजिटल ढांचे, जैसे कि बैंकिंग, दूरसंचार, रेलवे, बिजली वितरण, बाजार प्रणाली और ऑनलाइन लेन-देन, विदेशी समय स्रोतों पर आधारित हैं। इससे देश की गोपनीयता और डिजिटल संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लेकिन अब इन सेवाओं को एक सुरक्षित, वैध और वैश्विक मानकों के अनुरूप भारतीय समय प्रणाली का आधार मिलेगा।
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने जानकारी दी कि देश के कई सिस्टम फिलहाल विदेशी समय से संचालित हो रहे हैं, जो साइबर हमलों और डेटा की चोरी के लिए खतरा बन सकते हैं। एक सुरक्षित और विश्वसनीय समय प्रणाली इन खतरों से बचाव का माध्यम बनेगी। इसका फायदा डिजिटल भुगतान की सुरक्षा, सटीक ट्रेन और फ्लाइट संचालन, और डेटा ट्रांसफर में बेहतर समन्वय के रूप में देखने को मिलेगा।
टेलीकॉम, बैंकिंग, स्टॉक मार्केट और आईटी क्षेत्र से जुड़े 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया। इन सभी ने ‘एक राष्ट्र, एक समय’ को भारत की रणनीतिक आवश्यकता बताते हुए इसके शीघ्र क्रियान्वयन की वकालत की। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि अलग-अलग टाइम ज़ोन होने से देश के भीतर समय निर्धारण में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे रेल और हवाई दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है।
नई प्रणाली के लागू होते ही भारत की डिजिटल संप्रभुता को मजबूती मिलेगी और भविष्य में जीपीएस आधारित विदेशी समय प्रणालियों पर निर्भरता समाप्त हो सकेगी। यह पहल भारत को तकनीकी रूप से अधिक सक्षम, आत्मनिर्भर और साइबर हमलों से सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।