नई दिल्ली: भारत के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए आज 9 सितंबर को चुनाव हो रहा है। इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्षी इंडिया गठबंधन की ओर से बी. सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, वोटिंग सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगी। मतदान खत्म होने के बाद गिनती होगी और परिणाम घोषित किया जाएगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन करता है मतदान?
इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी मौजूदा सदस्य वोट डालते हैं। इसमें राज्यसभा के 233 निर्वाचित सांसद, 12 मनोनीत सांसद और लोकसभा के 543 सांसद शामिल होते हैं। कुल मिलाकर लगभग 788 सांसद मतदान के पात्र होते हैं। यही कारण है कि यह चुनाव बेहद खास और सीमित दायरे में होता है।
मतदान की प्रक्रिया – सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम
संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रोपोर्शनल रिप्रजेंटेशन सिस्टम से होता है। सांसदों को उम्मीदवारों के नाम के आगे प्राथमिकता क्रम (1, 2, 3…) लिखना होता है।
पहली प्राथमिकता के वोट गिने जाते हैं।
अगर किसी को बहुमत नहीं मिलता तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है।
उनके मत पत्रों में दी गई दूसरी पसंद के वोट बाकी उम्मीदवारों को ट्रांसफर किए जाते हैं।
यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार जरूरी बहुमत तक नहीं पहुंच जाता।
राष्ट्रपति चुनाव से कितना अलग है उपराष्ट्रपति चुनाव?
राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के साथ-साथ विधानसभाओं के विधायक भी वोट डालते हैं, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल संसद सदस्य ही मतदान करते हैं।
साथ ही, राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डालते, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सदस्य भी वोट डाल सकते हैं।
क्यों नहीं होता उपराष्ट्रपति चुनाव में EVM का इस्तेमाल?
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ईवीएम का प्रयोग होता है, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में बैलेट पेपर का ही इस्तेमाल किया जाता है।
इसकी वजह यह है कि चुनाव वरीयता आधारित प्रणाली से होता है, जिसे मौजूदा ईवीएम तकनीक सपोर्ट नहीं करती। चुनाव आयोग का कहना है कि इसके लिए पूरी तरह से अलग तकनीक वाली मशीन चाहिए। इसलिए यहां गुप्त मतदान पद्धति में बैलेट पेपर से वोटिंग कराई जाती है।
उपराष्ट्रपति पद क्यों है खास?
भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है। जगदीप धनखड़ ने हाल ही में इस्तीफा दिया था, जिसके बाद यह पद खाली पड़ा है। अब नया उपराष्ट्रपति तय करेगा कि आने वाले सालों में राज्यसभा की कार्यवाही कैसे संचालित होगी।