पिलानी के नजदीक रामपुरा गांव के नायब सूबेदार दीपक शर्मा असम में उग्रवादियों के हमले में शहीद हो गए। शहीद दीपक शर्मा का शव आज उनके पैतृक गांव रामपुरा-बेरी लाया गया जहां पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ उनका अन्तिम संस्कार किया गया।
दीपक शर्मा नेवी में थे और वर्तमान में असम के गौहाटी में एनसीसी में डेप्युटेशन पोस्टिंग पर कार्यरत थे। बताया जा रहा है कि एनसीसी के ही एक कैम्प को अटेंड करने जा रहे नायब सूबेदार दीपक शर्मा और उनके साथियों पर वहां के अलगाववादी संगठन के उग्रवादियों ने हमला कर दिया। हमले में नायब सूबेदार दीपक शर्मा की मौत हो गई।
तिरंगा यात्रा में शामिल हुए सैंकड़ों युवा
शहीद दीपक शर्मा का शव लेकर सेना की टुकड़ी आज सुबह बनगोठड़ी पहुंची। जिसके बाद बनगोठड़ी से तिरंगा यात्रा के रूप में उनका शव रामपुरा तक लाया गया। तिरंगा यात्रा में सैंकड़ों की संख्या में क्षेत्र के युवा शामिल हुए। अंतिम संस्कार से पूर्व बीकानेर से आई सेना की विशेष टुकड़ी के जवानों ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
शहीद को श्रद्धांजलि देने उमड़े लोग
इस अवसर पर सादुलपुर विधायक कृष्णा पूनिया, पूर्व विधायक नन्दलाल पूनिया, राजेश दहिया, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी चूरू दिलीप सिंह शेखावत, सरपंच नरेश बालानिया, संजीव पूनिया डिंगली, सुमेर सिंह भैंसली, विकास डूमोली, कुलदीप आर्य सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के हजारों लोगों ने नम आंखों से शहीद को श्रद्धांजलि दी।
माता पिता के इकलौते बेटे थे दीपक शर्मा
नायब सूबेदार दीपक शर्मा रामपुरा के सुरेश शर्मा के की 2 संतानों में इकलौते पुत्र थे, उनकी एक बहन भी है। दीपक शर्मा 8 वर्ष पूर्व ही सेना में भर्ती हुए थे। वे 27 वर्ष के थे। शहीद दीपक शर्मा अपने पीछे पत्नी अंजू और 2 वर्ष की मासूम बेटी मोनू को छोड़ कर गए हैं। अन्तिम संस्कार से पूर्व जब शहीद वीरांगना और उनकी मासूम बेटी को लाया गया तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई।