नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से जुड़े विवादास्पद बयान को लेकर लोकसभा में राजनीतिक तापमान चढ़ गया है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आरोपों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कड़ा जवाब देते हुए उन्हें झूठा करार दिया। राहुल गांधी ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण दिलाने के लिए जयशंकर ने अमेरिका के कई दौरे किए थे।
राहुल गांधी के आरोपों से सदन में मचा हंगामा
राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान अपने संबोधन में कहा,
“अगर अमेरिका के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की बात करें, तो हमारे प्रधानमंत्री को निमंत्रण दिलाने के लिए विदेश मंत्री को 3-4 बार अमेरिका भेजना देश की गरिमा के अनुकूल नहीं है। अगर हमारे पास मजबूत उत्पादन प्रणाली और तकनीकी क्षमता होती, तो अमेरिकी राष्ट्रपति खुद आकर पीएम को निमंत्रण देते।”
राहुल गांधी के इस बयान के बाद लोकसभा में तीखी नोकझोंक देखने को मिली और सत्ता पक्ष के नेताओं ने इसका विरोध किया।
एस जयशंकर का जवाब: ‘राजनीतिक लाभ के लिए फैलाया जा रहा झूठ’
राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में एस जयशंकर ने कहा,
“राहुल गांधी ने दिसंबर 2024 के मेरे अमेरिका दौरे को लेकर जानबूझकर झूठ बोला है। मेरा दौरा बाइडन प्रशासन के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) से मुलाकात के लिए था। इसके अलावा मैंने हमारे महावाणिज्य दूत की सभा की अध्यक्षता भी की थी। प्रधानमंत्री को निमंत्रण दिलाने जैसी कोई बात न तो चर्चा में थी और न ही मेरा उद्देश्य था।”
उन्होंने आगे कहा,
“यह सामान्य ज्ञान है कि प्रधानमंत्री ऐसे कार्यक्रमों में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं होते। भारत का प्रतिनिधित्व आमतौर पर विशेष दूतों या उच्चस्तरीय अधिकारियों द्वारा किया जाता है। राहुल गांधी के झूठ का मकसद राजनीति हो सकता है, लेकिन ऐसे बयान भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।”
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी
राहुल गांधी और एस जयशंकर के बीच यह बयानबाजी उस समय सामने आई है जब संसद का बजट सत्र अपने चरम पर है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, जिससे राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है।
जहां कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के बयानों को सत्तारूढ़ दल की विदेश नीति पर गंभीर प्रश्न के रूप में पेश कर रही है, वहीं भाजपा इसे विपक्ष का निराधार और गैर-जिम्मेदाराना रवैया बता रही है।
क्या है इस विवाद के राजनीतिक मायने?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद केवल एक शपथ ग्रहण समारोह तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे दोनों दलों के बीच विदेश नीति और राष्ट्रीय गौरव को लेकर व्यापक राजनीतिक संघर्ष उजागर होता है। राहुल गांधी जहां विदेश नीति में पारदर्शिता और स्वाभिमान की बात कर रहे हैं, वहीं जयशंकर इसे देश की छवि के खिलाफ बताया है।
इस घटनाक्रम के बाद यह साफ है कि आगामी चुनावों के मद्देनजर विदेश नीति भी राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बन सकती है।