Saturday, August 23, 2025
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अनोखा दृश्य: किसान ने साधु-संतों की उपस्थिति में दी कार को ‘समाधि’, ढोल-नगाड़े के साथ मनाई रस्म

अमरेली, गुजरात: अमरेली जिले के लाठी तालुका के पदरसिंगा गांव में एक अनोखी घटना ने लोगों को हैरान कर दिया। यहां के किसान संजय पोलारा ने अपनी पुरानी कार को समाधि दी और इसे एक स्मारक बना दिया। इस आयोजन के दौरान गांव में विधिपूर्वक पूजा-पाठ किया गया और यह अनोखी घटना धूमधाम से संपन्न हुई। इस आयोजन में विशेष रूप से साधु-संतों की उपस्थिति रही और कार को गड्ढे में दफन करने के बाद उसके ऊपर मिट्टी डाली गई।

किसान ने क्यों लिया यह अनोखा फैसला?

यह मामला पदरसिंगा गांव का है, जहां के किसान संजय पोलारा ने अपनी पुरानी कार को समाधि देने का निर्णय लिया। संजय का मानना था कि यह कार उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आई थी, जिसने उनकी प्रगति में अहम भूमिका निभाई। संजय ने यह कार 2013-14 में खरीदी थी और इसे अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते थे। उन्होंने इसे बेचने की बजाय एक सम्मानजनक विदाई देने का निर्णय लिया।

संजय का कहना था, “यह कार मेरे लिए एक भाग्यशाली साथी रही, जिसने मुझे समाज में मान-प्रतिष्ठा दिलाई और मेरे रुतबे को बढ़ाया। इसने मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए, जिससे मेरी प्रगति हुई। इसलिए मैंने इसे एक सम्मानजनक विदाई देने का निर्णय लिया।”

अनोखा दृश्य: किसान ने साधु-संतों की उपस्थिति में दी कार को 'समाधि', ढोल-नगाड़े के साथ मनाई रस्म

ढोल-नगाड़ों और डीजे की धुनों के बीच हुआ उत्सव

संजय पोलारा की इस अनोखी पहल के लिए गांव में ढोल-नगाड़े और डीजे की धुनों के बीच उत्सव का माहौल था। कार को फूलों से सजाया गया और उसे समाधि देने से पहले विशेष पूजा और अनुष्ठान किए गए। इसके बाद, कार को गड्ढे में दफन किया गया और बुलडोजर से उस पर मिट्टी डाली गई। इस आयोजन में संजय के रिश्तेदार, दोस्त और गांव के लोग भी शामिल हुए। सूरत, अहमदाबाद और आसपास के इलाकों से भी लोग इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।

एक प्रेरणादायक कदम

संजय पोलारा ने अपनी कार को समाधि देने के बाद इसे अपनी जीवन यात्रा का अहम हिस्सा मानते हुए इस आयोजन को खास बताया। उन्होंने इसे प्रगति का प्रतीक बताया और कहा कि यह कार उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई थी। गांव के लोग इस कदम को काफी सराह रहे हैं, और यह आयोजन अब अमरेली जिले में चर्चा का विषय बन चुका है।

अनोखा दृश्य: किसान ने साधु-संतों की उपस्थिति में दी कार को 'समाधि', ढोल-नगाड़े के साथ मनाई रस्म

संजय के मित्र राजूभाई जोगानी ने इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन भावनाओं से जुड़ा हुआ था और इसे याद रखने योग्य एक कार्य के रूप में देखा गया। यह साबित करता है कि किसी भी वस्तु को स्मारक बनाने का तरीका केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को सम्मान देने का तरीका हो सकता है।”

गांव में बनी चर्चा का विषय

इस आयोजन ने केवल गांव में ही नहीं, बल्कि पूरे अमरेली जिले में चर्चा का माहौल बना दिया है। लोग इसे एक अनोखा उदाहरण मान रहे हैं कि कैसे एक साधारण वस्तु भी किसी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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