नई दिल्ली: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमलों को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अमेरिका और इजरायल की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि उन्हें लगता है कि ईरान दबाव में आकर हथियार छोड़ देगा, तो वे ग़लतफहमी में हैं। फारूक ने कहा कि ईरान करबला को नहीं भूला है और यह संघर्ष अब “दूसरा करबला” बन चुका है।
“गर्दनें कटेंगी पर झुकेंगी नहीं” – ईरान की जुझारू सोच का जिक्र
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अमेरिका और इजरायल जिस शासन परिवर्तन की कोशिश कर रहे हैं, उससे कोई समाधान नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा कि ईरान अपनी महत्वाकांक्षाएं नहीं छोड़ेगा और यह मानना कि वह पीछे हट जाएगा, पूरी तरह भ्रम है। फारूक के अनुसार, अमेरिका का यह हमला केवल सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि राजनीतिक और धार्मिक दबाव बनाने का प्रयास है, जो सफल नहीं होगा।
मुस्लिम देशों की चुप्पी पर नाराजगी, चेताया भविष्य के ख़तरों को लेकर
फारूक अब्दुल्ला ने मुस्लिम देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब इजरायल पर हमला हुआ तो दुनिया के सभी मुस्लिम देश चुप रहे। अब जब ईरान पर हमला हुआ है, तब भी सब तमाशबीन बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज ईरान को निशाना बनाया गया है, कल यही स्थिति किसी और मुस्लिम देश की हो सकती है। उन्होंने मुस्लिम नेतृत्व से सजग होने की अपील करते हुए कहा कि अगर आज आवाज नहीं उठाई गई तो भविष्य में उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना पड़ेगा।
डोनाल्ड ट्रंप को लेकर जताई गहरी चिंता, तीसरे विश्व युद्ध की आशंका जताई
अब्दुल्ला ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर सीधा हमला करते हुए कहा कि जिससे उम्मीद थी कि वह हस्तक्षेप कर युद्ध रोकवाएगा, वह खुद ही युद्ध को हवा दे रहा है। उन्होंने इसे अमेरिका की दूसरी जंग करार दिया और कहा कि अमेरिका पहले ही रूस से सीधे टकराव में है, और अब ईरान के खिलाफ कदम बढ़ाकर वह तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहा है।
भारत पर असर की आशंका, तेल आपूर्ति को बताया अहम मुद्दा
फारूक अब्दुल्ला ने इस संघर्ष के भारत पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत सहित कई देशों की तेल निर्भरता उन्हीं देशों पर है, जो इस युद्ध से प्रभावित हैं। ऐसे में तेल आपूर्ति बाधित होने पर भारत की अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका लग सकता है। उन्होंने आगाह किया कि भले ही हमारे पास अभी संसाधन हों, लेकिन यह स्थिति स्थायी नहीं है।
ट्रंप की पाकिस्तान से नजदीकी पर सवाल
फारूक अब्दुल्ला ने हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को वॉशिंगटन बुलाए जाने को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि मुनीर को खाने पर बुलाना और परेड में मुख्य अतिथि बनाना यह दर्शाता है कि अमेरिका पाकिस्तान और भारत दोनों को साधने की नीति अपना रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रंप के इरादे फिलहाल साफ नहीं हैं और यह समझना मुश्किल है कि वह किसके साथ खड़ा है।
इस बयान के बाद फारूक अब्दुल्ला एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और पश्चिम एशिया संकट के मुद्दे पर चर्चा के केंद्र में आ गए हैं।