नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोस्ट-बजट वेबिनार के दौरान वर्चुअली सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर का अभूतपूर्व विकास हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत में एमएसएमई की संख्या 6 करोड़ से भी अधिक हो चुकी है, जिससे करोड़ों लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में एमएसएमई क्षेत्र की अहम भूमिका है और सरकार इसे लगातार सशक्त बनाने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।

एमएसएमई की नई परिभाषा से बढ़ा आत्मविश्वास
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि 2020 में सरकार ने 14 वर्षों के बाद एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन किया, जिससे छोटे उद्यमियों के मन में यह डर समाप्त हो गया कि उनके व्यापार के बढ़ने से उन्हें सरकारी लाभ मिलना बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में एमएसएमई की परिभाषा का और विस्तार किया गया है ताकि उद्यमियों को अधिक आत्मविश्वास मिले और वे निरंतर अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकें।
क्रेडिट गारंटी कवर बढ़ाकर 10 करोड़ किया गया
पीएम मोदी ने बताया कि सरकार एमएसएमई को आर्थिक रूप से अधिक सशक्त बनाने के लिए लोन वितरण की प्रक्रिया में भी सुधार कर रही है। उन्होंने कहा कि नए तकनीकी तरीकों को अपनाकर एमएसएमई को कम लागत में और कम समय में लोन उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने उद्योगों से एमएसएमई को सहयोग देने के लिए मेंटरशिप कार्यक्रम शुरू करने का आह्वान किया।
बजट 2024 में एमएसएमई सेक्टर के लिए क्रेडिट गारंटी कवर को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इससे छोटे और मध्यम उद्योगों को आसान ऋण सुविधाएं मिलेंगी और उनका विस्तार तेजी से होगा।
पीएलआई योजना से बढ़ा निवेश और निर्यात
प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत 14 सेक्टर्स को लाभ मिल रहा है। इस योजना के तहत 7.5 करोड़ यूनिट को मंजूरी दी गई है, जिससे देश में अब तक 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आया है। उन्होंने कहा कि इस योजना से 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन हुआ है और 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात संभव हुआ है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था और एमएसएमई सेक्टर के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो रहा है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को वैश्विक सहयोग से आगे बढ़ाने पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि आज विश्वभर के देश भारत के साथ अपनी आर्थिक भागीदारी को मजबूत करना चाहते हैं। उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आग्रह किया कि वे इस वैश्विक साझेदारी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।
उन्होंने उद्योगपतियों और एमएसएमई से अपील की कि वे अनुसंधान और विकास (R&D) पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने कहा कि भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और वैल्यू एडिशन पर जोर देना जरूरी है। इससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।