मादीपुर से गिरीश सोनी का इस्तीफा, 8 विधायकों की लिस्ट लंबी – क्या AAP में संकट और गहराएगा?
नई दिल्ली, 01 फरवरी। आम आदमी पार्टी (AAP) में बगावत का दौर लगातार तेज होता जा रहा है। शुक्रवार को एक के बाद एक विधायकों ने इस्तीफा देकर केजरीवाल सरकार को तगड़ा झटका दिया। देर रात मादीपुर सीट से विधायक गिरीश सोनी ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया, जिससे इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या 8 हो गई।
इससे पहले, सात विधायकों ने भ्रष्टाचार और तानाशाही का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। अब गिरीश सोनी के इस्तीफे ने AAP नेतृत्व के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सवाल ये है कि क्या आम आदमी पार्टी अपने ही नेताओं के विश्वास को खोती जा रही है?
गिरीश सोनी का इस्तीफा – रात 10 बजे AAP को एक और झटका!
रात 10 बजे, सोशल मीडिया पर गिरीश सोनी का एक पोस्ट सामने आया, जिसने AAP के अंदर हलचल मचा दी। उन्होंने अपने समर्थकों और मादीपुर की जनता का आभार व्यक्त करते हुए इस्तीफे की घोषणा की।
“मैं अपने सफल राजनीतिक कार्यकाल के लिए मादीपुर विधानसभा की जनता का दिल से आभार व्यक्त करता हूं। मैं अपने संवैधानिक पद से इस्तीफा दे रहा हूं, लेकिन अपने समस्त क्षेत्रवासियों को आश्वस्त करता हूं कि हमेशा उनकी सेवा में तत्पर रहूंगा।”
उनके इस्तीफे ने AAP के भीतर चल रही उथल-पुथल को और उजागर कर दिया है।
आम आदमी पार्टी पर लगे गंभीर आरोप – “ईमानदारी की राजनीति खो चुकी है”
इससे पहले इस्तीफा देने वाले सात विधायकों ने आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार और तानाशाही के गंभीर आरोप लगाए थे।
“भ्रष्टाचार मिटाने के वादे के साथ बनी पार्टी खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई है।”
इस्तीफा देने वाले विधायकों ने अपने पत्रों में लिखा कि AAP अब आम जनता की नहीं, बल्कि सिर्फ चंद नेताओं के हितों की पार्टी बन गई है।
इस्तीफा देने वाले सात अन्य विधायक:
- नरेश यादव (महरौली)
- रोहित महरौलिया (त्रिलोकपुरी)
- राजेश ऋषि (जनकपुरी)
- मदनलाल (कस्तूरबा नगर)
- पवन शर्मा (आदर्श नगर)
- बीएस जून (बिजवासन)
- भावना गौड़ (पालम)
इन विधायकों को आम आदमी पार्टी ने इस बार के विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं दिया था।
आम आदमी पार्टी के दावे
टिकट कटने से असंतोष या कोई साजिश?
AAP नेतृत्व का दावा है कि ये सभी विधायक टिकट न मिलने से नाराज थे, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी।
“AAP एक मजबूत पार्टी है, जिसमें योग्य उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं है। हर बार कुछ विधायकों को टिकट नहीं मिल सकता, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वे पार्टी छोड़ दें।”
AAP ने भाजपा पर विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया। पार्टी का कहना है कि इन विधायकों को पद और अन्य प्रलोभन देकर लुभाया गया।
“केजरीवाल के सच्चे सिपाही अंत तक उनके साथ रहेंगे। वे सिर्फ विधायक या मंत्री बनने के लिए राजनीति में नहीं आए हैं।”
क्या AAP पर मंडरा रहा है संकट?
आम आदमी पार्टी के लिए लगातार बढ़ते इस्तीफे चिंता का विषय हैं। क्या पार्टी के अंदर और भी विधायक नाराज हैं? क्या ये बगावत केवल टिकट कटने की वजह से है, या पार्टी के अंदर गहरे मतभेद सामने आ रहे हैं?
अगर इस्तीफों का सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो दिल्ली की सियासत में बड़ा भूचाल आ सकता है। क्या अरविंद केजरीवाल इस संकट से पार्टी को उबार पाएंगे या AAP के लिए यह बगावत विनाशकारी साबित होगी?