झुंझुनूं: जिले में नशे के अवैध कारोबार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां महाराष्ट्र पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल ने मुर्गी फार्म की आड़ में चल रही MD ड्रग्स फैक्ट्री का खुलासा किया है। धनूरी थाना इलाके में पकड़ी गई इस फैक्ट्री से करीब 10 किलो MD ड्रग्स, केमिकल और अत्याधुनिक मशीनें जब्त की गई हैं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह कार्रवाई राजस्थान में ड्रग मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क की गहराई को उजागर करती है और झुंझुनूं को ड्रग तस्करी के नक्शे पर ला खड़ा करती है।
महाराष्ट्र ANC की बड़ी कार्रवाई, राजस्थान में फैक्ट्री का पर्दाफाश
महाराष्ट्र पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल को एक अन्य कार्रवाई के दौरान इनपुट मिला था कि राजस्थान में MD ड्रग्स का निर्माण हो रहा है। इस सूचना पर 4 अक्टूबर से तकनीकी और मानवीय जांच शुरू की गई। जांच के दौरान पकड़े गए एक आरोपी ने झुंझुनूं जिले में फैक्ट्री होने की जानकारी दी, जिसके बाद टीम ने पूरी रणनीति के साथ कार्रवाई को अंजाम दिया।
सीकर में सप्लाई के दौरान आरोपी गिरफ्तार
14 दिसंबर की सुबह अनिल सिहाग एक किलो MD ड्रग्स की सप्लाई लेकर सीकर पहुंचा था। कलेक्ट्रेट के सामने मिलन होटल के पास सुबह करीब 6:30 बजे महाराष्ट्र पुलिस ने उसे दबोच लिया। पूछताछ में अनिल ने ड्रग्स फैक्ट्री और नेटवर्क से जुड़े कई अहम खुलासे किए, जिसके बाद वह खुद पुलिस टीम को झुंझुनूं के धनूरी इलाके में स्थित मुर्गी फार्म तक लेकर गया।
मुर्गी फार्म में छिपी थी MD ड्रग्स फैक्ट्री
पुलिस जांच में सामने आया कि यह फैक्ट्री अनिल सिहाग के चाचा सुरेश सिहाग के मुर्गी फार्म में चलाई जा रही थी। मुर्गियों के दाने रखने वाले खाली कमरे को फैक्ट्री में तब्दील कर दिया गया था। यहां से करीब 10 किलोग्राम MD ड्रग्स, केमिकल और मशीनें बरामद की गईं। मीरा भायंदर-वसई विरार पुलिस कमिश्नर निकेत कौशिक ने बताया कि जब्त सामग्री की कीमत करीब 100 करोड़ रुपये आंकी गई है।
खेती से नशे के कारोबार तक, आरोपी की पूरी कहानी
जांच में यह भी सामने आया कि अनिल सिहाग 12वीं पास है और खेतीबाड़ी करता है। वह वर्ष 2016-17 में अपने चाचा के मुर्गी फार्म में काम करने लगा था। इसी दौरान उसकी पहचान सुभाष जाट से हुई, जो मीनू ट्रेवल्स के नाम से बसें चलाता था। सुभाष अपनी कार से नीमच से डोडा पोस्त लाता था और अनिल को भी साथ ले जाने लगा। अनिल ने उसके साथ 5-7 चक्कर लगाए और प्रति चक्कर 5 हजार रुपये कमाए।
बाद में अनिल ने खुद नीमच में हाईवे पर स्थित ढाबा संचालक पप्पू गुर्जर से संपर्क बनाकर डोडा पोस्त लाना शुरू किया और तारानगर में विकास जाट को सप्लाई करने लगा। इस अवैध कारोबार में उसे प्रति किलो 500 से 700 रुपये की बचत होती थी। एक बार सादुलपुर में पुलिस चेकिंग के दौरान वह भाग निकला, जबकि उसका साथी प्रदीप बलोदा पकड़ा गया। कुछ समय बाद अनिल को भी गिरफ्तार कर 19 दिन जेल भेजा गया था।
बिज्जू उर्फ जग्गा और MD ड्रग्स बनाने की साजिश
पूछताछ में अनिल ने बताया कि बिज्जू उर्फ जग्गा, निवासी नेतड़वास, सीकर ने उसे MD ड्रग्स बनाने के लिए सुनसान जगह उपलब्ध कराने का लालच दिया। बिज्जू ने कहा कि MD बनाने के दौरान तेज स्मेल आती है, इसलिए मुर्गी फार्म उपयुक्त रहेगा और इसके बदले अच्छा किराया दिया जाएगा। शुरुआत में अनिल ने मना किया, लेकिन 50 हजार रुपये किराए के लालच में वह तैयार हो गया।
दिवाली के आसपास और फिर 20 नवंबर को बिज्जू ने केवल तीन दिन के लिए जगह लेने की बात कही। 26 नवंबर को वह हरियाणा नंबर की स्विफ्ट गाड़ी में केमिकल और मशीनें लेकर फार्म पहुंचा और फैक्ट्री शुरू कर दी। मात्र 15 दिन पहले ही यहां MD ड्रग्स का उत्पादन शुरू हुआ था।
फरार आरोपी की तलाश जारी
जब पुलिस ने अनिल से बिज्जू के बारे में पूछताछ की तो उसने व्हाट्सऐप कॉल कर उसे सीकर के जयपुर रोड पर बुलाया। बिज्जू वहां पहुंचा, लेकिन पुलिस को देखकर तेज रफ्तार में अपनी स्विफ्ट कार पीछे भगाकर फरार हो गया। फिलहाल महाराष्ट्र ANC और स्थानीय एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी हैं।
राजस्थान में ड्रग मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क पर बड़ा सवाल
इस कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि राजस्थान अब केवल ड्रग्स की ट्रांजिट रूट नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की कोशिश में है। झुंझुनूं जैसे शांत जिलों में मुर्गी फार्म की आड़ में चल रही फैक्ट्रियां सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती बन रही हैं।





