खेतड़ी: उपखंड क्षेत्र के जसरापुर गांव में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की एक कमरे की छत गिरने से चिकित्सा स्टाफ और ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। सोमवार देर शाम तेज धमाके के साथ पीएचसी के एक कमरे की छत भरभराकर गिर गई। गनीमत रही कि उस समय कोई व्यक्ति कमरे के भीतर मौजूद नहीं था, जिससे बड़ा हादसा टल गया।
इस घटना के बाद मंगलवार को पूरा चिकित्सा स्टाफ बाहर ही ड्यूटी निभाता नजर आया। चिकित्सकों ने पीएचसी भवन के बाहर मरीजों का उपचार किया। जर्जर भवन की स्थिति देखते हुए ग्रामीणों ने चिकित्सा कर्मियों को अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। वर्तमान में पीएचसी के 15 से अधिक कर्मचारी खुले में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीणों और पीएचसी कर्मियों ने बताया कि यह भवन वर्षों से जर्जर स्थिति में है। इसे पहले ही नकारा घोषित किया जा चुका है, इसके बावजूद इसमें चिकित्सीय सेवाओं का संचालन अब तक जारी है। हादसे के बाद पीएचसी प्रभारी ने उच्चाधिकारियों को तुरंत स्थिति से अवगत कराया, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है।
ग्रामीणों ने पीएचसी भवन को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है, इसलिए या तो इस भवन को तुरंत मरम्मत किया जाए या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट रूप से प्रशासन से मांग की है कि आमजन और चिकित्सा स्टाफ की जान जोखिम में डालकर सेवाएं नहीं दी जानी चाहिए।
बुधवार को ग्रामीणों ने चिकित्सा विभाग के खिलाफ विरोध दर्ज कराया, लेकिन सीएमएचओ छोटेलाल गुर्जर द्वारा जल्द ही नए भवन के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करवाने का आश्वासन दिए जाने के बाद धरना समाप्त कर दिया गया। तब तक के लिए पीएचसी को डॉक्टरों के आवासीय क्वार्टर में स्थानांतरित कर चिकित्सा सेवाएं संचालित की जाएंगी।
यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर स्वास्थ्य ढांचे की गंभीर स्थिति को उजागर करती है और यह सवाल भी उठाती है कि आखिर कब तक लोग असुरक्षित भवनों में स्वास्थ्य सेवाएं लेने को मजबूर रहेंगे।