चीन: किंगदाओ शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मंच से पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसकी नीतियों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को रणनीति के रूप में अपनाकर आतंकवादियों को संरक्षण दे रहे हैं, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने ऐसे देशों की आलोचना में कोई झिझक न दिखाने की अपील की।
बैठक में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने अप्रैल महीने में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों, उनके प्रायोजकों, वित्तपोषकों और आयोजकों को न्याय के कठघरे में लाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद का कोई भी रूप स्वीकार्य नहीं हो सकता, चाहे वह किसी भी मकसद, समय या स्थान पर क्यों न हुआ हो।
उन्होंने कहा कि शांति और समृद्धि उन हालात में संभव नहीं हो सकती जब क्षेत्र में उग्रवाद, कट्टरवाद और आतंकवाद जैसी चुनौतियां बढ़ती जा रही हों। उन्होंने यह भी चेताया कि गैर-राज्य तत्वों और आतंकी संगठनों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों का प्रसार एक गंभीर समस्या है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करना समय की मांग है और इसके लिए SCO के सदस्य देशों को एकजुट होना होगा।
भारत के रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि आज के समय में जिन प्रमुख चुनौतियों का सामना क्षेत्र कर रहा है, वे विश्वास की कमी, सुरक्षा की चिंता और राजनीतिक अस्थिरता से जुड़ी हैं। इन सभी समस्याओं की जड़ में आतंकवाद और कट्टरवाद की विचारधारा है, जिसे मिलकर खत्म करने की आवश्यकता है।
राजनाथ सिंह ने SCO के सदस्य देशों से आह्वान किया कि वे आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रयास करें और सामूहिक सुरक्षा के सिद्धांत को अपनाएं। उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता और परस्पर विश्वास को मजबूत करने की दिशा में भी एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना वर्ष 2001 में क्षेत्रीय संवाद, विश्वास और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। भारत वर्ष 2017 में SCO का पूर्णकालिक सदस्य बना और तब से वह संगठन की गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2023 में भारत ने इस संगठन की अध्यक्षता की थी।
वर्तमान में इस संगठन में दस सदस्य देश शामिल हैं, जिनमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। संगठन का उद्देश्य राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को सुदृढ़ करना और क्षेत्र में शांति व स्थायित्व को बढ़ावा देना है।