नई दिल्ली: अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को 18 मई को सोनीपत पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट के माध्यम से सेना की महिला अधिकारियों—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह—के योगदान को कमतर दिखाया और इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की।

यह एफआईआर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत पर दर्ज की गई थी।
प्रोफेसर की टिप्पणी का विवाद
प्रोफेसर ने 8 मई को एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि:
“कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह की प्रेस ब्रीफिंग एक प्रतीकात्मक कदम है, लेकिन अगर इसे जमीनी स्तर पर समानता और समावेशन में नहीं बदला गया, तो यह केवल एक पाखंड बनकर रह जाएगा।”
उन्होंने हिंदुत्व समर्थकों द्वारा महिला मुस्लिम सैन्य अधिकारियों की प्रशंसा को उनके ‘दोहरे मापदंड’ की संज्ञा दी थी।
एनएचआरसी ने जताई चिंता
20 मई को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस गिरफ्तारी पर स्वत: संज्ञान लिया। आयोग ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में कहा है कि:
“प्रोफेसर की गिरफ्तारी और हिरासत में भेजे जाने के तरीके में उनकी स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन प्रतीत होता है।”
इसके साथ ही आयोग ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट से राहत
20 मई को ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को अंतरिम ज़मानत दे दी। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को इस मामले में नोटिस जारी किया और इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश भी दिया है।