झुंझुनूं, 10 मई 2025: जिले के मंडावा क्षेत्र निवासी सुरेंद्र कुमार शुक्रवार रात जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में हुए आतंकी हमले में देश की रक्षा करते हुए बलिदान हो गए। वे भारतीय वायुसेना की मेडिकल विंग में तैनात थे और 14 वर्षों से सेना में सेवा दे रहे थे। हमले की पुष्टि होते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।

सुरेंद्र कुमार 39 विंग, उधमपुर में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट के पद पर कार्यरत थे। जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने बताया कि उनके बलिदान की जानकारी वायुसेना मुख्यालय से उनके रिश्तेदार जयप्रकाश को दी गई। पार्थिव शरीर को कब गांव लाया जाएगा, इस बारे में अभी कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है।
परिवार की बात करें तो सुरेंद्र कुमार अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। उनके पिता शिशुपाल सिंह पहले ही सीआरपीएफ से सेवानिवृत्त होकर दिवंगत हो चुके हैं। सुरेंद्र अपनी पत्नी सीमा और दो छोटे बच्चों — एक 8 वर्षीय बेटी और 5 वर्षीय बेटे — के साथ रहते थे। हाल ही में उन्होंने गांव में नया मकान बनवाया था और गृह प्रवेश के बाद 15 अप्रैल को परिवार सहित ड्यूटी पर लौटे थे।
सुरेंद्र की पत्नी सीमा अभी नवलगढ़ में मायके में हैं। वे अपने दादा के निधन के कारण बच्चों के साथ 10 दिन पहले वहां गई थीं। सुरेंद्र कुमार की शहादत की जानकारी अभी तक उनकी मां और पत्नी को नहीं दी गई है।

गांव के परिजनों ने बताया कि सुरेंद्र न केवल देशभक्त थे, बल्कि गांव के युवाओं को सेना में भर्ती की तैयारी के लिए मार्गदर्शन भी देते थे। उनके चाचा सुभाष ने बताया कि वे अत्यंत मिलनसार और प्रेरणादायी व्यक्तित्व के धनी थे।
बलिदानी जवान के घर जिला कलेक्टर रामावतार मीणा और पुलिस अधीक्षक पहुंचे और परिवार को सांत्वना दी। साथ ही भारत सरकार की ओर से दिए जाने वाले सहायता पैकेज की जानकारी भी साझा की।
संपादकीय टिप्पणी
समाचार ‘झुंझुनूं 24 आज’ ने निर्णय लिया है कि अब से मातृभूमि के लिए अपने प्राण अर्पण करने वाले वीरों को ‘बलिदानी’ कहा जाएगा, न कि ‘शहीद’। ‘शहीद’ शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘गवाह’, जबकि हमारे सपूतों का बलिदान उस भाव से कहीं अधिक गहरा और पवित्र होता है।