नई दिल्ली: भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कठघरे में खड़ा किया है। इस बार भारत ने विशेष रूप से पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा दिया गया हालिया बयान पेश किया है, जिसमें उन्होंने पश्चिमी देशों के इशारे पर आतंकवादियों को पालने की बात स्वीकारी थी। भारत ने इस बयान को ‘आतंकवाद को समर्थन देने की स्वीकृति’ बताते हुए पाकिस्तान को ‘दुष्ट राष्ट्र’ करार दिया है।

UN में भारत का कड़ा विरोध
संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“पूरी दुनिया ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को यह स्वीकार करते हुए सुना है कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को समर्थन, फंड और ट्रेनिंग देता आया है। यह किसी के लिए नई बात नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान के इतिहास का हिस्सा है।”
उन्होंने आगे कहा कि ख्वाजा आसिफ के इस कबूलनामे से कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। यह पाकिस्तान की उस सच्चाई को उजागर करता है, जिसे दुनिया लंबे समय से जानती रही है – कि वह आतंकवाद को पालता है और वैश्विक शांति व क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालता है।
#WATCH | Ambassador Yojna Patel, India's Deputy Permanent Representative at the UN says, "The Pahalgam terrorist attack represents the largest number of civilian casualties since the horrific 26/11 Mumbai attacks in 2008. Having been a victim of cross-border terrorism for… pic.twitter.com/ltwQxJN2iP
— ANI (@ANI) April 29, 2025
ख्वाजा आसिफ का विवादित बयान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ एक इंटरव्यू के दौरान यह स्वीकार कर बैठे कि पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से आतंकवादी संगठनों को फंडिंग और ट्रेनिंग देता रहा है।
उन्होंने कहा,
“हम यह गंदा काम अमेरिका, ब्रिटेन और पश्चिम के लिए 30 साल से कर रहे हैं… यह हमारी गलती थी और अब हम उसके परिणाम भुगत रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के अस्तित्व को नहीं मानता। उन्होंने ‘लश्कर’ को ‘पुराना नाम’ बताया और TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) के बारे में अनभिज्ञता जताई।

पहलगाम हमले के बाद तनाव और बढ़ा
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले में भारतीय सुरक्षाकर्मियों की शहादत के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और गहरा गया है। इस पृष्ठभूमि में ख्वाजा आसिफ के बयान ने आग में घी डालने का काम किया है। भारत ने इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों का खुला सबूत बताया है।