नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विपक्षी दलों को जमकर घेरा। कोविड प्रबंधन, पीएम केअर्स फंड और पारदर्शिता के मुद्दों पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कांग्रेस से लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) तक को निशाने पर लिया।
कोविड प्रबंधन पर सरकार का पक्ष
गृह मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान भारत ने पूरी दुनिया में सबसे प्रभावी ढंग से इस संकट का सामना किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ 40 बार बैठक की, जो किसी भी प्रधानमंत्री द्वारा किसी आपदा के समय उठाया गया अभूतपूर्व कदम है। शाह ने दावा किया कि भारत ने न केवल दो-दो टीके विकसित किए, बल्कि दो साल में दो बार सभी नागरिकों को वैक्सीन भी लगाई।

पीएम केअर्स फंड पर सवालों का जवाब
विपक्ष द्वारा पीएम केअर्स फंड की पारदर्शिता पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में बने प्रधानमंत्री राहत कोष में कांग्रेस अध्यक्षा सदस्य थीं, जबकि पीएम केअर्स फंड में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे पदेन सदस्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस फंड के उपयोग के लिए प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सचिवों की कमेटी बनाई गई है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
टीएमसी सांसदों का वॉकआउट
टीएमसी सांसदों द्वारा बंगाल को कम फंड दिए जाने के आरोपों पर अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की तुलना में वर्तमान सरकार ने 367 फीसदी अधिक फंड जारी किए हैं। टीएमसी सांसदों ने इस पर विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। इस पर अमित शाह ने कहा कि बंगाल में सरकार और पार्टी बदल गई, लेकिन वॉकआउट की परंपरा नहीं बदली।
राज्यवार सहायता और पारदर्शिता
अमित शाह ने राज्यवार आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन के तहत सभी राज्यों को वित्त आयोग के नियमों के अनुसार सहायता दी जाती है। उन्होंने कहा कि सहायता राशि के प्रावधान वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और राज्यों को इन्हीं मानकों के आधार पर आवेदन करना चाहिए।

जीप कांड से टूजी तक का जिक्र
गृह मंत्री ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए जीप कांड, बोफोर्स और टूजी घोटाले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पारदर्शिता पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री राहत कोष को राजीव गांधी फंड को स्थानांतरित कर दिया, जिसे कांग्रेस परिवार संचालित करता था।