चिड़ावा, 12 मार्च 2025: रंगों और उल्लास का पर्व होली 13 मार्च को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। होलिका दहन की प्रक्रिया 13 मार्च की सायंकालीन प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को संपन्न होगी, जबकि रंगों का पर्व धुलंडी 14 मार्च को मनाया जाएगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और भद्रा काल का प्रभाव
पंडित गणेश नारायण आध्यात्मिक केंद्र के अधिष्ठाता आचार्य पंडित मुकेश पुजारी ने बताया कि होलिका दहन के समय भद्रा काल का प्रभाव रहेगा, जिसके कारण भद्रा समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना शुभ रहेगा।

- भद्रा काल: 13 मार्च को सुबह 10:41 बजे से रात 11:31 बजे तक रहेगा।
- भद्रा पुंछ: शाम 6:57 बजे से रात 8:14 बजे तक रहेगा।
- होलिका दहन का शुभ समय: रात 11:32 बजे के बाद।
- फाल्गुन पूर्णिमा प्रारंभ: 13 मार्च को सुबह 10:41 बजे से।
- फाल्गुन पूर्णिमा समाप्त: 14 मार्च को दोपहर 12:27 बजे तक।
भद्रा काल में होलिका दहन क्यों नहीं किया जाता?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है, क्योंकि इस समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक रहता है। भद्रा काल में होलिका दहन करने से अशुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। अतः रात्रि 11:32 बजे के बाद ही होलिका दहन करना उचित रहेगा।

बड़कुला पूजन और बच्चों का ढूंढ संस्कार
- बड़कुला पूजन: 13 मार्च को सुबह 10:41 बजे से पहले करना शुभ रहेगा।
- इस दौरान छोटे बच्चों का ढूंढ पूजन भी किया जाता है, जिसमें बच्चे को बुरी नजर से बचाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
- बड़कुलों की माला पिरोने की परंपरा भी इसी समय पूरी करनी चाहिए, क्योंकि 10:41 बजे के बाद भद्रा काल प्रारंभ हो जाएगा।