Wednesday, March 12, 2025
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सूरजगढ़ के अमरसिंहपुरा में विद्यालय न होने से छात्र परेशान, ग्रामीणों ने की पुनः संचालन की मांग

500 घरों की आबादी वाले गांव में नहीं है प्राथमिक विद्यालय, विद्यार्थियों को जाना पड़ता है दूसरे गांव

सूरजगढ़, 11 मार्च 2025: झुंझुनूं जिले की सूरजगढ़ तहसील के अमरसिंहपुरा गांव में सरकारी विद्यालय न होने के कारण विद्यार्थियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। प्राथमिक शिक्षा के लिए भी उन्हें दूसरे गांवों में जाना पड़ता है, जिससे न केवल समय और संसाधनों की बर्बादी होती है बल्कि छोटे बच्चों को भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

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ग्रामीणों ने वर्षों से उठाई है विद्यालय संचालन की मांग

गांव के कुलदीप सिंह राठौड़ के अनुसार, 1985 में यहां एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय खोला गया था, जो 2005 तक सुचारू रूप से संचालित रहा। लेकिन 2005-06 में सरकार द्वारा इसे बंद कर दिया गया। विद्यालय के बंद होने के बाद से ही भवन की देखरेख नहीं की गई, जिससे वह पूरी तरह जर्जर हो गया है। कमरों की छत गिरने की स्थिति में है और वहां झाड़-झंखाड़ उग आए हैं।

सितंबर 2024 में गांववासियों ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर विद्यालय को पुनः प्रारंभ करने की मांग की थी। इसके बाद दिसंबर 2024 में शिक्षा विभाग की टीम ने मौके का निरीक्षण भी किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

सूरजगढ़ के अमरसिंहपुरा में विद्यालय न होने से छात्र परेशान, ग्रामीणों ने की पुनः संचालन की मांग

ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

गांववासियों का कहना है कि विद्यालय नहीं होने से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है और उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में सूबेदार इंद्र सिंह शेखावत, डीलर नत्थू सिंह राठौड़, महावीर सिंह शेखावत, करण सिंह शेखावत, लक्ष्मण सिंह शेखावत, कृष्ण सिंह शेखावत, सुरेंद्र सिंह शेखावत, चंदगीराम प्रजापत, रामस्वरूप मेघवाल, मूलचंद भगत, सुमेर सिंह राठौड़, राकेश सिंह शेखावत, प्रभु सिंह राठौड़, राजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य ग्रामीणों ने सरकार से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है।

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ग्रामीण विद्यालय भवन निर्माण में सहयोग को भी तैयार

ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यदि सरकार विद्यालय पुनः प्रारंभ करती है, तो भवन के निर्माण में वे अपनी ओर से भी सहायता देने के लिए तैयार हैं। यदि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान नहीं किया गया, तो वे आंदोलन का रुख अपनाने को मजबूर होंगे। ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि इस गंभीर समस्या का शीघ्र समाधान किया जाए, ताकि गांव के बच्चों को उनकी प्राथमिक शिक्षा के लिए बाहर न जाना पड़े।

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