16वीं विधानसभा के लिए राज्य में चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी पार्टियों के चुनावी समर के महारथी अपने-अपने क्षेत्रों में इस जंग को जीतने के मकसद से सक्रिय भी हो गए हैं। प्रदेश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने एक के बाद एक लिस्ट जारी कर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने अब तक 5 लिस्ट जारी कर 156 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है, वहीं भाजपा ने अब तक 2 लिस्ट जारी कर 124 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं।
हालांकि कुछ सीटें हैं, जहां अब तक दोनों ही पार्टियां किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर पाई हैं। पिलानी विधानसभा क्षेत्र से भी कांग्रेस और भाजपा अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई हैं।
2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से मौजूदा विधायक जेपी चंदेलिया कांग्रेस भाजपा के कैलाश मेघवाल को 13539 वोटों से हरा कर निर्वाचित हुए थे। उससे पहले 2008 और 2013 के चुनाव में लगातार 2 बार भारतीय जनता पार्टी के सुंदरलाल यहां से चुनाव जीते थे। सुंदरलाल ने दोनों बार ही पूर्व आईएएस जेपी चंदेलिया को हराया था।
2023 के चुनाव को लेकर यहां दोनों ही राजनीतिक पार्टियां असमंजस में हैं और प्रत्याशी की घोषणा नहीं कर पाई हैं। कांग्रेस जहां जातिगत वोटों की गणित का फॉर्मूला तलाश रही है तो बीजेपी नए और पुराने चेहरे पर दुविधा में नजर आ रही है।
जातिगत वोटों की गणित में उलझा कांग्रेस का टिकट
मौजूदा विधायक जेपी चंदेलिया कांग्रेस की टिकट के स्वाभाविक दावेदार हैं, लेकिन क्षेत्र में जातिगत वोटों की गणित का हवाला देते हुए पार्टी में ही उनके विरोधी पूर्व शिक्षा अधिकारी रहे पितराम काला के लिए ऊपर तक लॉबिंग कर रहे हैं। बेशक काला राजनीति में नए हैं, लेकिन पर्दे के पीछे से जिले के ही 2 बड़े कांग्रेस नेता पिछले कुछ माह से अपने समर्थकों के माध्यम से काला को लगातार क्षेत्र में सक्रिय बनाए हुए हैं। अब राजनीति का ऊंट कांग्रेस में किस करवट बैठता है, यह टिकट की घोषणा होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। फिलहाल दावेदारों की दिल्ली-जयपुर के बीच लगातार हो रही भागदौड़ के समाचार जरूर मिल रहे हैं।
बीजेपी भी प्रत्याशी को लेकर संशय में
बीजेपी में भी देखा जाए तो पिलानी से टिकट का पेंच फंस गया लगता है। पूर्व प्रधान कैलाश मेघवाल और राजेश दहिया के बीच क्षेत्र में टिकट को लेकर चल रही रस्साकसी सर्व विदित है। कैलाश मेघवाल गत चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। यही नहीं, विधानसभा चुनाव के बाद पिलानी पंचायत समिति के डेलीगेट का चुनाव भी कैलाश मेघवाल बड़े अन्तर से हार गए थे। यही वजह है कि, वे भाजपा में टिकट की दौड़ में संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। उनके पिता पूर्व केबिनेट मंत्री काका सुंदरलाल बेटे के टिकट के लिए अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन अभी तक टिकट फाइनल नहीं हो पाया है। दूसरी ओर राजेश दहिया विधानसभा चुनाव के लिए पिछले 4 साल से तैयारी कर रहे हैं, पार्टी के कई बड़े कार्यक्रम उन्होंने अपने स्तर पर क्षेत्र में करवाए हैं, और धीरे-धीरे ही सही लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं तक खुद को विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के तौर पर पेश करने में सफल रहे हैं। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी राजेश दहिया के नाम की घोषणा भी पार्टी प्रत्याशी के लिए नहीं हो पाई है।
फीका है अब तक चुनावी माहौल पिलानी का
दोनों ही पार्टियों ने पिलानी विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रत्याशी की घोषणा को अटका कर न केवल दावेदारों की धड़कनें बढ़ा रखी है, बल्कि क्षेत्र के मतदाता भी इस ऊहापोह में हैं कि इस बार वोट किसे देंगे ये कब तय कर पाएंगे। हालत ये है कि चुनाव के अब कुल 24 दिन ही बाकी रह गए हैं, लेकिन बिल्कुल ऐसा नहीं लगता कि चुनाव होने वाले हैं। न नेताओं की चहल-पहल है और न मतदाताओं और रूठे कार्यकर्ताओं के मान मनौवल के नजारे दिखने को मिल रहे हैं।
कैलाश मेघवाल ने नामांकन के लिए फॉर्म लिया
इस बीच आज भी किसी उम्मीदवार का नामांकन दाखिल नहीं हुआ, लेकिन पूर्व प्रधान कैलाश मेघवाल ने नामांकन के लिए फॉर्म लिया है। इससे मेघवाल के चुनाव लड़ने को लेकर जनचर्चा जरूर शुरू हो गई हैं।