अयोध्या, उत्तर प्रदेश: अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह मंदिर सदियों के त्याग, तपस्या और संघर्ष का परिणाम है, जो हमारी संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह दिव्य-भव्य राममंदिर विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में एक बड़ी प्रेरणा बनेगा। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह भी कहा, “पहली वर्षगांठ पर समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।”
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर अयोध्या में लाखों श्रद्धालु एकत्रित हुए हैं। यह ऐतिहासिक समारोह 11 जनवरी से 13 जनवरी तक मनाया जा रहा है। समारोह में आम लोगों को भी भाग लेने का अवसर मिलेगा, जो पिछले साल संभव नहीं हो सका था। इस साल करीब 110 वीआईपी आमंत्रित हैं। इसके अलावा, अंगद टीला स्थल पर एक जर्मन हैंगर टेंट भी लगाया गया है, जिसमें 5000 श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इस टेंट में श्रद्धालुओं को समारोह का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा।
प्राण प्रतिष्ठा का इतिहास
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या के राम मंदिर में संपन्न हुई थी। इस मौके पर अयोध्या के 100 से अधिक स्थानीय संत और विभिन्न राज्यों से आए संतों ने भाग लिया था। यजुर्वेद के पाठ से समारोह की शुरुआत हुई, और दोपहर 12:20 बजे भगवान की भव्य आरती की गई। इस अवसर पर रामलला को 56 व्यंजनों का भोग अर्पित किया गया।
महत्वपूर्ण तिथि
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा द्वादशी तिथि को की गई थी, जो 2024 में 22 जनवरी को पड़ी थी। इस वर्ष 2025 में यह तिथि 11 जनवरी को पड़ने के कारण, रामलला की पहली वर्षगांठ आज मनाई जा रही है।
समारोह का आयोजन
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान विशेष पूजा अर्चना, आरती, और भव्य आयोजन किया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए हर प्रकार की व्यवस्था की गई है, ताकि वे इस ऐतिहासिक और दिव्य अवसर का आनंद ले सकें। इसके अलावा, राज्य और केंद्र सरकार के उच्च अधिकारियों द्वारा इस आयोजन की निगरानी की जा रही है, ताकि सभी श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और अद्भुत अनुभव मिले।
समारोह में शामिल होने वाले प्रमुख व्यक्तित्व
इस आयोजन में उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और अयोध्या के संतों के साथ-साथ देशभर से 100 से अधिक स्थानीय संत भी भाग लेंगे। साथ ही इस ऐतिहासिक समारोह में केंद्रीय मंत्री और अन्य राजनेता भी शामिल होंगे। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्निर्माण का प्रतीक भी है।