जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता उमर अब्दुल्ला ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर बयान देकर कांग्रेस के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उमर अब्दुल्ला ने पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में ईवीएम पर सवाल उठाने की राजनीति को गैर-तार्किक बताया। उनके इस बयान पर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और उमर के रवैये पर सवाल उठाया है।
उमर अब्दुल्ला का बयान: “हार के लिए ईवीएम को दोष नहीं दिया जा सकता”
उमर अब्दुल्ला ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में स्पष्ट रूप से कहा, “जब इसी ईवीएम के इस्तेमाल से संसद में आपके 100 से अधिक सदस्य पहुंचते हैं और जीत का जश्न मनाते हैं, तो कुछ महीने बाद आप यह नहीं कह सकते कि हमें ईवीएम पसंद नहीं हैं क्योंकि नतीजे अब आपकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं आ रहे हैं। ऐसा रवैया लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।”
उनके इस बयान से विपक्षी दलों में हलचल मच गई है क्योंकि यह इंडिया गठबंधन के बीच स्पष्ट मतभेद को उजागर करता है।
कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर का पलटवार
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उमर को अपने तथ्यों की जांच करनी चाहिए। टैगोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उमर के इंटरव्यू का वीडियो साझा करते हुए लिखा, “यह समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना (यूबीटी) हैं जिन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। उमर अब्दुल्ला, कृपया पहले अपने तथ्यों की जांच करें।”
टैगोर ने आगे कहा कि कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने ईवीएम के मुद्दे पर निर्वाचन आयोग से स्पष्ट स्पष्टीकरण की मांग की है। उन्होंने उमर के सहयोगी दलों के प्रति इस रवैये को भी सवालों के घेरे में रखा और पूछा, “मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने सहयोगी दलों के प्रति यह रवैया क्यों?”
इंडिया गठबंधन में दरार के संकेत
यह मामला तब सामने आया है जब इंडिया गठबंधन आगामी चुनावों की तैयारियों में जुटा हुआ है। उमर अब्दुल्ला का बयान ऐसे समय पर आया जब कई विपक्षी दल ईवीएम के प्रति संदेह जताते रहे हैं। समाजवादी पार्टी, एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) जैसे गठबंधन सहयोगी पहले भी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा चुके हैं।
कांग्रेस ने भी हाल ही में CWC बैठक में ईवीएम से जुड़ी चिंताओं को उठाते हुए निर्वाचन आयोग को इस मामले पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की थी। कांग्रेस का मानना है कि चुनावों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ईवीएम की जांच और उसके परिणामों की विश्वसनीयता को और पुख्ता किया जाना चाहिए।