बिहार: अपनी सुमधुर आवाज से लोक संगीत को नया आयाम देने वाली पद्म भूषण सम्मानित प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले 11 दिनों से एम्स में भर्ती थीं और ब्लड कैंसर (मल्टीपल मायलोमा) से पीड़ित थीं। 26 अक्टूबर को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एम्स में भर्ती किया गया था। सोमवार रात से उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने इसकी पुष्टि की। शारदा सिन्हा के निधन की खबर से संगीत जगत और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है।
प्रधानमंत्री मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकगायिका शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, “सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। छठ पर्व से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। संगीत जगत के लिए उनका जाना एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!”
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “बिहार कोकिला शारदा सिन्हा ने मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका और हिंदी में कई उत्कृष्ट गीतों का योगदान दिया है। उनके निधन से संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। उनका योगदान अमूल्य है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।”
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी जताया दुख
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी शारदा सिन्हा के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा के निधन की खबर बेहद दुखद है। उन्होंने अपने संगीत से सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने का कार्य किया है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।”
शारदा सिन्हा का लोक संगीत में योगदान
शारदा सिन्हा का नाम मैथिली और भोजपुरी संगीत के साथ-साथ छठ पर्व के गीतों के लिए प्रसिद्ध था। उनकी पहचान उनकी मधुर आवाज और भावनाओं से भरे गीतों से थी। उन्होंने भोजपुरी और मैथिली के लोकगीतों के साथ-साथ हिंदी फिल्मों में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उनके छठ पर्व के गीतों ने उन्हें अपार लोकप्रियता दिलाई। हाल ही में, उन्होंने छठ का नया गीत “दुखवा मिटाईं छठी मैया, रउए आसरा हमार” जारी किया था, जिसे एम्स से ही रिलीज़ किया गया था।
छह वर्षों से ब्लड कैंसर से जूझ रहीं थीं शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा को 2018 में मल्टीपल मायलोमा (ब्लड कैंसर) का पता चला था। वह पिछले छह वर्षों से इस बीमारी से जूझ रही थीं। हाल के दिनों में उनकी तबीयत अधिक खराब हो गई थी, जिसके चलते उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती किया गया। उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट और बाद में वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और मंगलवार रात को उनका देहांत हो गया।
परिवार में शोक की लहर
शारदा सिन्हा ने हाल ही में अपने पति ब्रज किशोर सिन्हा को भी खो दिया था, जिनका निधन ब्रेन हैमरेज के कारण हुआ था। इस वर्ष उन्होंने अपनी 54वीं शादी की वर्षगांठ मनाई थी। उनके परिवार पर यह दुखद घटना गहरा आघात छोड़ गई है। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने भी अपनी माँ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।
संगीत जगत को भारी क्षति
शारदा सिन्हा के निधन को संगीत जगत ने एक अपूरणीय क्षति माना है। उनकी लोकधुनों और छठ के गीतों ने बिहार और देश भर में उन्हें अलग पहचान दिलाई। उनकी आवाज हमेशा लोगों के दिलों में गूंजती रहेगी। उनके गीत “प्यार के बंधन में”, “आज हमरी ए सखी” और अन्य छठ गीत भारतीय लोकसंस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।