भारत-आसियान: गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में भारत-आसियान दोस्ती की महत्ता पर जोर दिया, खासकर तब जब विश्व के कई हिस्सों में संघर्ष और तनाव व्याप्त है। उन्होंने इस संबंध को “वैश्विक दक्षिण” का महत्वपूर्ण साझेदार बताया और इस द्विपक्षीय सहयोग को क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति के लिए आवश्यक बताया।
एक्ट ईस्ट नीति से मिली नई दिशा
मोदी ने बताया कि 10 साल पहले उन्होंने ‘एक्ट ईस्ट नीति’ की घोषणा की थी, जिसने भारत और आसियान देशों के ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊर्जा दी है। पिछले दशक में इस नीति के तहत दोनों देशों के बीच व्यापार और सहयोग का स्तर काफी बढ़ा है।
भारत और आसियान के संबंध ऐसे समय में और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं, जब दक्षिण चीन सागर में समुद्री मुद्दों को लेकर फिलीपीन और चीन के बीच तनाव जारी है और म्यांमा में जातीय समूह सैन्य शासन से संघर्ष कर रहे हैं। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि 21वीं सदी, जिसे “एशियाई सदी” कहा जा रहा है, वास्तव में भारत और आसियान देशों की सदी है।
हिंद-प्रशांत महासागर पहल की अहमियत
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने 2019 में आसियान की केंद्रीयता को ध्यान में रखते हुए ‘हिंद-प्रशांत महासागर पहल’ की शुरुआत की थी। इसके तहत पिछले साल क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए समुद्री अभ्यास शुरू किए गए, जो क्षेत्रीय विकास और सुरक्षा के लिए अहम साबित हो रहे हैं। मोदी ने कहा कि भारत और आसियान के बीच व्यापार अब 130 अरब डॉलर से अधिक हो गया है, जो पिछले दशक की तुलना में दोगुना है।
व्यापार और कनेक्टिविटी को दी नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान के साथ बढ़ते व्यापार और कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की आसियान के सात देशों के लिए सीधी उड़ान सेवाएं हैं और ब्रूनेई के लिए सीधी उड़ान भी जल्द शुरू की जाएगी। भारत ने सिंगापुर के साथ ‘फिनटेक कनेक्टिविटी’ की शुरुआत की है, जिसका सकारात्मक प्रभाव अन्य देशों में भी दिख रहा है।
मानवीय और सांस्कृतिक सहयोग पर जोर
मोदी ने कहा कि भारत और आसियान के बीच जन-केंद्रित प्रयास विकास साझेदारी की बुनियाद बने हुए हैं। इसके तहत नालंदा विश्वविद्यालय ने आसियान क्षेत्र के 300 से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की है। इसके अलावा, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, म्यांमा और इंडोनेशिया की साझा धरोहर के संरक्षण के लिए भी भारत मदद कर रहा है।
आपदा और महामारी के दौरान सहयोग
कोविड महामारी और प्राकृतिक आपदाओं के समय भारत और आसियान ने मिलकर मानवता की सेवा की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोष’, ‘डिजिटल कोष’ और ‘हरित कोष’ की स्थापना की है, जिसमें भारत ने 30 करोड़ डॉलर से अधिक का योगदान दिया है। इसका परिणाम यह है कि भारत-आसियान का सहयोग जल से लेकर अंतरिक्ष तक फैल गया है।
भारत-आसियान शिखर सम्मेलन रहा सफल
शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि यह सम्मेलन काफी फलदायी रहा। उन्होंने कहा, “हमने इस बारे में चर्चा की कि भारत और आसियान के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी को और कैसे मजबूत किया जाए। हम व्यापार संबंधों, सांस्कृतिक संबंधों, और प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी समेत अन्य क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने की आशा करते हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी फिलहाल दो दिवसीय यात्रा पर लाओस में हैं, जहां उन्होंने भारत-आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भाग लिया। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों समूहों के देशों के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ करना है।