नई दिल्ली, 24 जुलाई, 2024: सुप्रीम कोर्ट ने आज पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने इस मसले पर निर्णय लेने के लिए एक समिति गठित करने का भी आदेश दिया है।
यह समिति अधिकारियों, किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलकर बनी होगी और इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने सहित अन्य मांगों पर विचार करना होगा।
यह कदम देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलनों के मद्देनजर उठाया गया है। किसानों की प्रमुख मांगों में एमएसपी को कानूनी दर्जा देना शामिल है ताकि उन्हें अपनी फसलों का उचित मूल्य मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक स्वतंत्र समिति गठित करने की बात कही, जो पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकारों के बीच बातचीत कर मुद्दों का समाधान ढूंढ सके।
- कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को उन व्यक्तियों के नाम सुझाने को कहा है जिन्हें समिति में शामिल किया जा सकता है।
- इसने साथ ही अंबाला के पास शंभू सीमा पर एक सप्ताह के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, जहां किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।
- न्यायालय ने कहा कि “एक तटस्थ अंपायर” की आवश्यकता है जो किसानों और सरकार के बीच विश्वास पैदा कर सके।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि “आपको किसानों से बातचीत करने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे। अन्यथा वे दिल्ली क्यों आएंगे? आप यहां से मंत्रियों को भेज रहे हैं और उनके नेक इरादों के बावजूद विश्वास की कमी है।”
आगे की राह
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति किसानों और सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी और उनकी मांगों पर विचार करेगी।
- समिति एक सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।
- सुप्रीम कोर्ट समिति की रिपोर्ट पर आधारित अपना अंतिम फैसला सुनाएगा।
यह फैसला किसानों और सरकारों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। यह देखा जाना बाकी है कि समिति किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए क्या सिफारिशें करती है और सुप्रीम कोर्ट उन सिफारिशों पर क्या फैसला लेता है।