दुबई, 18 अप्रैल, 2024: मंगलवार (16 अप्रैल) को दुबई में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने पूरे शहर को तहस-नहस कर दिया है। इस घटना ने भारी तबाही मचाई है, जिसके कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस भीषण बाढ़ के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन और क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल भी शामिल है।
क्लाउड सीडिंग: बारिश का कृत्रिम तरीका
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में सालाना औसतन 200 मिलीमीटर से भी कम बारिश होती है। वहीं, गर्मियों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जिसके कारण जल संसाधनों पर भारी दबाव पड़ता है। इस कमी को पूरा करने के लिए, UAE सरकार ने क्लाउड सीडिंग नामक एक तकनीक का इस्तेमाल किया है।
यह तकनीक कृत्रिम रूप से बारिश को बढ़ाने का एक तरीका है। इसमें बादलों में रसायनों (सीडिंग एजेंट) को छिड़का जाता है, जो पानी की बूंदों को इकट्ठा करने में मदद करते हैं और अंततः बारिश के रूप में गिरते हैं।
UAE ने पहली बार 1982 में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया था। 2000 के दशक की शुरुआत में, इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए खाड़ी देशों में एक कार्यक्रम शुरू किया गया था।
क्या क्लाउड सीडिंग ही बाढ़ का कारण है?
हालांकि, क्लाउड सीडिंग तकनीक विवादास्पद भी रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक अप्रभावी और अनिश्चित परिणाम दे सकती है।
दुबई में हुई भारी बारिश और बाढ़ के पीछे क्लाउड सीडिंग कितनी हद तक जिम्मेदार है, इस पर अभी भी बहस जारी है। कुछ मौसम विज्ञानियों का मानना है कि यह तकनीक एक योगदानकर्ता कारक हो सकती है, जबकि अन्य का मानना है कि यह प्राकृतिक कारणों का परिणाम है।
जलवायु परिवर्तन: एक बड़ा खतरा
जलवायु परिवर्तन को भी दुबई में बाढ़ के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण, गर्म हवाएं अधिक नमी को धारण करने में सक्षम होती हैं, जिससे भारी बारिश और तूफान जैसी चरम मौसम की घटनाएं हो सकती हैं।