मंदसौर, मध्य प्रदेश: भारत आज 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किसी व्यक्ति का नाम भी “26 जनवरी” हो सकता है? यह सुनकर भले ही अजीब लगे, लेकिन मध्य प्रदेश के मंदसौर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में कार्यरत एक शासकीय कर्मचारी का नाम वास्तव में “26 जनवरी टेलर” है। उनका नाम सुनकर लोग अक्सर चौंक जाते हैं, लेकिन इसके पीछे की कहानी उतनी ही रोचक है।
नाम के कारण हमेशा बने चर्चा का विषय
26 जनवरी टेलर अपने अनोखे नाम के कारण हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। जब भी वह किसी सरकारी या निजी कार्यालय में जाते हैं और अपना नाम बताते हैं, तो लोग हैरान हो जाते हैं और नाम के पीछे की कहानी जानने को उत्सुक रहते हैं। उन्होंने बताया कि अब वह इस स्थिति के अभ्यस्त हो चुके हैं और गर्व से अपना नाम बताते हैं।
कैसे पड़ा यह नाम?
26 जनवरी टेलर का जन्म 26 जनवरी 1966 को सुबह 8 बजे मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में हुआ था। उनके पिता सत्यनारायण टेलर, जो उस समय एक शिक्षक थे, ने इस विशेष तिथि पर जन्म लेने के कारण अपने तीसरे संतान का नाम “26 जनवरी” रखने का निर्णय लिया। परिवार के अन्य सदस्यों और रिश्तेदारों ने शुरुआत में इस नाम पर आपत्ति जताई, लेकिन उनके माता-पिता अपने निर्णय पर अडिग रहे और अंततः उनका नाम सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हो गया।
पहली बार जब अधिकारियों ने सुना यह नाम
साल 1991 में 26 जनवरी टेलर मंदसौर के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नियुक्त हुए। जब अधिकारियों ने पहली बार उनके नाम को सुना तो वे भी हैरान रह गए। उन्हें कई बार यह स्पष्ट करना पड़ा कि यह उनका असली नाम है और किसी प्रकार की गलती नहीं हुई है।
नाम के कारण झेलनी पड़ी मुश्किलें
अपने अनोखे नाम के कारण 26 जनवरी टेलर को कई बार कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने बताया कि वर्ष 1994-95 में जब वह जिले में कार्यरत थे, तब कलेक्टर ने उनके नाम को लेकर संदेह जताते हुए उनका वेतन रोक दिया था। अधिकारियों ने सवाल उठाया कि “26 जनवरी नाम का प्रमाणीकरण क्या है?” इस समस्या के कारण उनके परिवार को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
बाद में डायट के तत्कालीन प्राचार्य ने कलेक्टर के समक्ष जाकर नाम की पुष्टि करवाई, जिसके बाद उनकी सैलरी पुनः जारी की गई। इस घटना के बाद से उन्हें अपने नाम को लेकर कभी कोई परेशानी नहीं हुई।
नाम बदलने का मिला था मौका, लेकिन पिता ने किया इनकार
जब 26 जनवरी टेलर कक्षा पांचवीं में थे, तब स्कूल के प्राचार्य ने उनके पिता से कहा कि अगर वह चाहें तो अभी उनका नाम बदल सकते हैं, क्योंकि एक बार बोर्ड में नाम दर्ज होने के बाद बदलाव संभव नहीं होगा।
हालांकि, उनके पिता ने साफ शब्दों में कहा कि “जब एक बार नामकरण हो गया है, तो इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।” पिता की इस इच्छा का सम्मान करते हुए 26 जनवरी टेलर ने कभी अपना नाम बदलने की जिद नहीं की और इसे अपनी पहचान बना लिया।
नाम ने दिलाई अलग पहचान
अपने नाम के कारण 26 जनवरी टेलर को न सिर्फ प्रसिद्धि मिली, बल्कि सरकारी कार्यालयों में भी उनकी पहचान अलग तरह से हुई। उन्होंने बताया कि अक्सर लोग उन्हें “26” नाम से ही पुकारते हैं और जहां भी जाते हैं, वहां उन्हें तुरंत पहचान लिया जाता है।
पहले जब वह छोटे थे, तो उन्हें अपने नाम को लेकर झिझक होती थी, लेकिन जैसे-जैसे बड़े हुए, उन्होंने अपने नाम के महत्व को समझा और अब गर्व के साथ इसे अपनाया है।
नाम के कारण मिली विशेष पहचान
आज 26 जनवरी टेलर मंदसौर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में अपनी नौकरी के 34 वर्ष पूरे कर चुके हैं। वह इस अनोखे नाम के साथ अपनी सेवा जारी रखे हुए हैं और इसे एक सम्मान की तरह देखते हैं। उन्होंने कहा,
“पहले लगता था कि पिता जी ने कैसा नाम रख दिया, लेकिन अब मुझे इस नाम पर गर्व है। ऑफिस से लेकर मोहल्ले तक लोग मेरे नाम को सम्मान देते हैं।”
नाम से जुड़ा गर्व और देशभक्ति की भावना
26 जनवरी टेलर का कहना है कि अब वह गर्व के साथ अपना नाम बताते हैं, क्योंकि यह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि गणतंत्र दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिन से जुड़ा एक प्रतीक है। उनके अनुसार, इस नाम ने उन्हें एक अलग पहचान दी है और उन्हें हर जगह विशेष बना दिया है।