झुंझुनूं: जिले के सूरजगढ़ थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर गांव का नरेश उर्फ पप्पू अब आज़ाद है। 4 अगस्त 2025 को जयपुर पीठ के उच्च न्यायालय ने उसे सभी आरोपों से बरी कर तत्काल जेल से रिहा करने के आदेश दिए। जस्टिस बलविंदर सिंह संधु और जस्टिस अविनेश झींगन की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष एक भी ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाया और पूरा मामला रंजिश का परिणाम था।
22 नवंबर 2012 को 24 वर्षीय नरेश पर अपने ही परिवार की 2 साल की बच्ची से दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगा, जिसे पुलिस ने पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज कर अदालत में चालान पेश किया। 2018 में अधीनस्थ अदालत ने उसे दोषी ठहराकर लंबी सजा सुना दी। इस दौरान नरेश ने कई कठिन साल जेल में झाड़ू-पोछा करते और बाहरी दुनिया से कटे हुए बिताए। उसकी गिरफ्तारी के बाद पिता की सदमे से मौत हो गई, पांच साल पहले मां लापता हो गईं और छोटा भाई अकेले जीवन संभालने को मजबूर रहा।
नरेश को पहली बार 2017 में जमानत मिली, लेकिन 2018 में सजा सुनाए जाने से उसकी उम्मीदें टूट गईं। इसके बाद अधिवक्ता राजेश गढ़वाल ने उसका केस संभाला। गवाहों के विरोधाभासी बयान, मेडिकल और एफएसएल रिपोर्ट में खामियों को अदालत के सामने रखते हुए उन्होंने साबित किया कि यह केस झूठा और रंजिशन था।
रिहाई के बाद नरेश ने कहा कि अब वह सिर्फ शांति से अपनी बाकी जिंदगी जीना चाहता है। 13 साल में उसने माता-पिता और जवानी दोनों खो दी। रघुनाथपुर में उसकी रिहाई की खबर फैलते ही ग्रामीणों ने घर जाकर उसका स्वागत किया। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि उन्हें हमेशा यकीन था कि वह निर्दोष है, लेकिन न्याय मिलने में लंबा समय लग गया।
झूठा आरोप लगाने वाले क्या बच गए, उन्हें इसकी सजा मिलनी चाहिए और नरेश को इसका मुआवजा मिलना चाहिए। एक निर्दोष की जिंदगी के 16 साल बर्बाद कर दिए और आरोप लगाने वालों को ऐसे ही छोड़ दिया गया।