Sunday, November 24, 2024
Homeदेशहाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ममता बनर्जी नहीं कर सकेंगी राज्यपाल पर टिप्पणी

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ममता बनर्जी नहीं कर सकेंगी राज्यपाल पर टिप्पणी

कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के तीन अन्य नेताओं को 14 अगस्त तक राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ किसी भी अपमानजनक या गलत बयान देने से रोक दिया है। न्यायमूर्ति कृष्ण राव ने एक अंतरिम आदेश में यह निर्देश जारी किया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 अगस्त तय की।

मामले की पृष्ठभूमि

राज्यपाल आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार, तथा पार्टी के नेता कुणाल घोष के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। यह मुकदमा सायंतिका और रेयात हुसैन के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर ममता बनर्जी द्वारा की गई टिप्पणियों के बाद दायर किया गया था।

पिछले महीने, तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण स्थल को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। विधायक विधानसभा में शपथ लेना चाहते थे, जबकि राज्यपाल राजभवन में शपथ दिलाने के पक्ष में थे। इस पर ममता बनर्जी ने कुछ टिप्पणियां की थीं, जिसके चलते राज्यपाल ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

अंतरिम आदेश का प्रभाव

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अगर अभी अंतरिम आदेश जारी नहीं किया जाता, तो प्रतिवादियों को वादी (राज्यपाल बोस) के खिलाफ अपमानजनक बयान जारी रखने की खुली छूट मिल जाएगी, जिससे वादी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का खतरा है। न्यायमूर्ति राव ने कहा कि राज्यपाल, जो एक संवैधानिक प्राधिकारी हैं, सोशल मीडिया पर प्रतिवादियों द्वारा किए जा रहे व्यक्तिगत हमलों का मुकाबला करने में असमर्थ हैं।

ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वकील संजय बसु ने एक बयान में कहा कि अदालत के आदेश को बृहद पीठ के समक्ष चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह मामला जनहित से जुड़ा है और ममता बनर्जी अपने बयान पर कायम हैं।

अदालत का निर्देश

अदालत ने ममता बनर्जी और तीन अन्य को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने और उसके बाद एक सप्ताह के भीतर राज्यपाल बोस द्वारा इसका जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

संवैधानिक अधिकार और प्रतिबंध

अदालत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) सभी व्यक्तियों को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) के तहत इस पर रोक भी लगाई जा सकती है, जिसमें मानहानि भी शामिल है।

राज्यपाल की प्रतिक्रिया

अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए राज्यपाल बोस ने कहा कि वह ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि वे ममता बनर्जी को सही राह दिखाएं।

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