नई दिल्ली: आज संसद के चालू बजट सत्र का आठवां दिन था, और इस दिन भी दोनों सदनों में आम बजट 2025-26 पर चर्चा जारी रही। इसी बीच, लोकसभा में एक ताजे विवाद ने जोर पकड़ा, जब डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने संस्कृत भाषा को लेकर एक बयान दिया। उनके बयान पर स्पीकर ओम बिरला को आपत्ति जतानी पड़ी, और इस पर दोनों के बीच तीखी बहस भी हुई।

क्या था पूरा मामला?
दरअसल, डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने लोकसभा में बहस के दौरान संस्कृत भाषा में अनुवाद की प्रक्रिया पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अन्य भाषाओं के साथ-साथ संस्कृत में भी लोकसभा की कार्यवाही का अनुवाद किया जा रहा है, जो उनके अनुसार टैक्सपेयर के पैसों की बर्बादी है। दयानिधि मारन का यह बयान आरएसएस की विचारधारा से जुड़ा हुआ था, जिसके तहत संस्कृत को भारतीय भाषाओं में एक प्रमुख स्थान दिया जाता है।
Glad to see Loksabha speaker Om Birla ji thrashing DMKtards for their hatred towards Hindi, Sanskrit etc.
— Mr Sinha (@MrSinha_) February 11, 2025
DMK MP Dayanidhi Maran objected to debates being translated into Sanskrit along with other languages.
They hate everything associated with Hinduism. pic.twitter.com/P44qHPvil1
मारन ने कहा कि लोकसभा की कार्यवाही को संस्कृत में अनुवाद करने से जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है और यह एक अनावश्यक खर्च है। उन्होंने यह भी कहा कि इस अनुवाद की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, खासकर तब जब देश में अन्य भाषाओं का भी पर्याप्त उपयोग किया जा रहा है।
स्पीकर ओम बिरला का कड़ा जवाब
मारन के इस बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “संस्कृत हमारी देश की प्राथमिक भाषा रही है, और इसे लेकर इस तरह की टिप्पणियां उचित नहीं हैं।” ओम बिरला ने आगे कहा कि संस्कृत के साथ-साथ बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी और उर्दू जैसी अन्य भाषाओं को भी संसद में कार्यवाही का अनुवाद प्रदान किया जाएगा, ताकि सदस्यों को अपनी मातृभाषा में कार्यवाही समझने में सुविधा हो। यह निर्णय न केवल संस्कृत, बल्कि देश की अन्य 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं को भी मान्यता देता है, जिनमें कार्यवाही का अनुवाद होगा।
इसके बाद, डीएमके सदस्यों ने इस मुद्दे पर नारेबाजी शुरू कर दी। स्पीकर ओम बिरला ने सदस्यों से पूछा कि उन्हें इस फैसले में समस्या क्या है। इस पर दयानिधि मारन ने फिर से अपने बयान को दोहराया और कहा कि संस्कृत में अनुवाद करके सरकार टैक्सपेयर के पैसों की बर्बादी कर रही है।

स्पीकर की प्रतिक्रिया
इस पर स्पीकर ओम बिरला ने दयानिधि मारन से सवाल किया, “माननीय सदस्य, आप किस देश में जी रहे हैं? यह भारत है, भारत। संस्कृत भारत की प्राथमिक भाषा रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह न केवल संस्कृत, बल्कि कुल 22 भाषाओं में अनुवाद की सुविधा दी जा रही है, ताकि देश के विभिन्न हिस्सों के लोग आसानी से संसद की कार्यवाही को समझ सकें।




