Thursday, November 21, 2024
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शिमला में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर जनाक्रोश: अचानक मामले ने पकड़ा तूल! क्या है पूरी कहानी?

शिमला में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर जनाक्रोश: हिमाचल प्रदेश की शांतिपूर्ण छवि बुधवार को शिमला में एक बड़े विवाद के बाद बदलती दिखाई दी। हिंदू समाज के लोग संजौली में इकट्ठे हुए और यहां मौजूद मस्जिद को अवैध बताते हुए उसे गिराने की मांग की। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए, जो बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के बढ़ते प्रभाव और उनकी सही तरीके से वेरिफिकेशन न होने पर नाराजगी जता रहे थे। यह मामला शिमला में बाहरी लोगों की बढ़ती संख्या और उसके प्रभावों पर केंद्रित होता जा रहा है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

शिमला के मल्याणा क्षेत्र में 37 वर्षीय विक्रम सिंह के साथ हुई मारपीट के बाद इस मामले ने तूल पकड़ा। 30 अगस्त की रात को विक्रम सिंह अपने लोक मित्र केंद्र से घर लौट रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उन पर हमला किया, जिससे उनके सिर पर गंभीर चोट आई और उन्हें 14 टांके लगाने पड़े। विक्रम सिंह ने ढली थाने में दर्ज कराई शिकायत में मोहम्मद गुलनवाज और उसके साथियों को दोषी ठहराया, जिनमें दो नाबालिग शामिल थे।

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार, छह आरोपियों की पहचान की गई है, जिनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और उत्तराखंड के रहने वाले हैं। पुलिस ने इसे दुकानदारों और बाहरी मुस्लिम समुदाय के बीच आपसी विवाद बताया, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मामला सिर्फ आपसी विवाद का नहीं है।

मस्जिद विवाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा तक पहुंचा

इस विवाद ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी गर्मा-गर्मी पैदा कर दी। चौपाल से विधायक बलवीर वर्मा और शिमला से विधायक हरीश जनारथा ने इसे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत उठाया। चर्चा के दौरान पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद को अवैध निर्माण करार देते हुए कहा कि इसका निर्माण सरकारी जमीन पर हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस तरह का बड़ा अवैध निर्माण कैसे हो गया, जबकि सामान्य रूप से सरकारी जमीन पर नक्शा भी पास नहीं होता।

14 साल से लंबित मामला

अनिरुद्ध सिंह ने खुलासा किया कि यह मामला साल 2010 से न्यायालय में लंबित है और अब तक इसकी 44 सुनवाई हो चुकी हैं। 2023 में पता चला कि इस मामले में प्रतिवादी व्यक्ति नहीं, बल्कि वक्फ बोर्ड को होना चाहिए था। यह जानकारी नगर निगम को 13 साल बाद मिली, जिससे मामले में देरी और जटिलता बढ़ी।

‘6357 वर्ग फुट अवैध निर्माण’

मंत्री ने बताया कि संजौली में 6,357 वर्ग फुट जमीन पर अवैध निर्माण हो चुका है और इस पर कार्रवाई जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा धार्मिक नहीं, बल्कि वैध-अवैध निर्माण का है और अवैध निर्माण को गिराया जाना चाहिए।

मौलवी की प्रतिक्रिया

संजौली मस्जिद के मौलवी शहजाद इमाम ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने दावा किया कि यह मस्जिद 1947 से पहले की बनी हुई है और 2007 के बाद यहां कोई नया निर्माण नहीं हुआ है। उनका कहना है कि मामला अब वक्फ बोर्ड के पास है और उसका समाधान आयुक्त के पास लंबित है।

पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की टिप्पणी

पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी मामले में कानूनसम्मत कार्रवाई की वकालत की है। उन्होंने कहा कि मस्जिद का निर्माण अवैध है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। जयराम ठाकुर ने इसे सांप्रदायिक मुद्दा नहीं, बल्कि सही और गलत का मुद्दा बताया।

शनिवार को मामले की सुनवाई

अब इस मामले की सुनवाई शनिवार को नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री के पास होनी है। यह मुद्दा अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है और हिमाचल प्रदेश सरकार पर इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का दबाव बढ़ गया है।

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