नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी और भारत-चीन सीमा क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर को हुई सहमति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने 23 अक्टूबर को रूस के कजान शहर में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी। इस बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा विवाद के समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधियों और विदेश मंत्रियों को निर्देशित किया।
सीमा विवाद के समाधान पर हुई प्रगति
विदेश मंत्री ने कहा कि विशेष प्रतिनिधियों को भारत-चीन सीमा विवाद का निष्पक्ष, न्यायोचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, शांति और सौहार्द बनाए रखने के उपायों की निगरानी भी आवश्यक है। एस. जयशंकर ने बताया कि उन्होंने हाल ही में 18 नवंबर को ब्राजील के रियो डी जेनेरो में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की और सीमा विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
गश्त दोबारा शुरू होने पर जोर
जयशंकर ने जानकारी दी कि 21 अक्टूबर को हुई सहमति से पहले उन्होंने 4 जुलाई को अस्ताना और 25 जुलाई को वियनतियाने में अपने चीनी समकक्ष के साथ भारत-चीन संबंधों को लेकर विस्तृत चर्चा की थी। इसके अतिरिक्त, 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैठक भी हुई।
उन्होंने बताया कि भारत ने गश्त में आ रही बाधाओं और डेमचोक क्षेत्र में खानाबदोश आबादी की चरागाहों तक पहुंच पर चिंता व्यक्त की। इन मुद्दों पर गहन बातचीत के बाद पारंपरिक क्षेत्रों में गश्ती गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं।
2020 के बाद सैनिकों की वापसी बनी प्राथमिकता
जयशंकर ने कहा कि 2020 के तनावपूर्ण घटनाक्रमों के बाद सबसे बड़ी प्राथमिकता टकराव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करना था ताकि कोई अप्रिय घटना या संघर्ष न हो। हाल ही में हुए समझौते में यह लक्ष्य हासिल किया गया है। उन्होंने कहा कि अब ध्यान तनाव को कम करने और दीर्घकालिक समाधान पर केंद्रित है।
सीमा प्रबंधन के लिए तीन प्रमुख सिद्धांत
जयशंकर ने बताया कि सीमा प्रबंधन में सुधार के लिए तीन प्रमुख सिद्धांतों का पालन आवश्यक है:
- दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सख्ती से सम्मान करना।
- यथास्थिति को एकतरफा बदलने का कोई प्रयास नहीं होना चाहिए।
- पूर्व में हुए समझौतों का पूरी तरह पालन होना चाहिए।