नई दिल्ली: सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाने की तैयारी के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार को स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति और शक्तियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
AIMPLB का विरोध और अपील
AIMPLB ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी दलों और विपक्षी दलों से आग्रह किया कि वे ऐसे किसी भी कदम को पूरी तरह से खारिज करें और संसद में ऐसे संशोधनों को पारित न होने दें। AIMPLB के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास ने एक बयान में कहा कि बोर्ड इस कदम को विफल करने के लिए सभी प्रकार के कानूनी और लोकतांत्रिक उपाय अपनाएगा।
सरकार का दृष्टिकोण
सूत्रों के अनुसार, सरकार वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन करने के लिए संसद में एक विधेयक लाने वाली है ताकि इनके कामकाज में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके तथा इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी हो सके।
असदुद्दीन ओवैसी का विरोध
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है। उन्होंने कहा, “बीजेपी शुरू से ही वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है और उसने अपने हिंदुत्व एजेंडे के तहत वक्फ संपत्तियों तथा वक्फ बोर्ड को खत्म करने का प्रयास शुरू किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह अपने आप में धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।
ओवैसी ने आरोप लगाया कि अगर सर्वेक्षण बीजेपी सरकार द्वारा किया जाता है, तो इसका नतीजा यह होगा कि संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि देश में कई दरगाह और मस्जिदें हैं, जिनके बारे में भाजपा-आरएसएस दावा करता है कि वे दरगाह और मस्जिदें नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर मीडिया की खबरें सच हैं, तो मोदी के नेतृत्व वाली सरकार मुसलमानों से वक्फ बोर्ड की संपत्तियां छीनना चाहती है।
मुख्तार अब्बास नकवी की प्रतिक्रिया
इस बीच, अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘वक्फ की कार्यशैली को ‘टच मी नॉट’ (अछूत) की सनक-सियासत से बाहर आना होगा।’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘समावेशी सुधारों पर सांप्रदायिक वार ठीक नहीं है।’’