लोकसभा चुनाव से पहले झुंझुनू जिले में यमुना नहर का पानी अब तेजी से बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है। जिले के गांव, ढाणी, कस्बों, शहरों में अब इस मुद्दे पर चर्चा आम है और रोज किसी ना किसी क्षेत्र से धरने प्रदर्शन की खबरें सुर्खियों बटोर रही हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री शीशराम ओला के बाद यह पहला चुनाव है, जब जिले में चुनाव के दौरान नहर का मुद्दा गरमाया हुआ है। लगता नहीं कि इस मुद्दे की अनदेखी इस बार कोई भी राजनीतिक दल कर पायेगा। नहर के मुद्दे पर सक्रिय सभी संगठन जिला मुख्यालय पर 12 फरवरी को एक जाजम पर आयेंगे।
खुड़ोत ग्राम में भी यमुना जल समझौते को लेकर 2 दिन से अनिश्चितकालीन धरना जारी है। अनिल कुमार टोनी के संयोजन में दिया जा रहे अनिश्चितकालिन धरने को ग्रामीणों का समर्थन अब बढ़ रहा है। आज दूसरे दिन धरने की अध्यक्षता जगदीश ने की। इस मौके पर पंच महासिंह मिठारवाल, मास्टर वीरभान, अनूप नागर, बाबूलाल पंच, कर्ण सिंह, गंगाधर, शेर सिंह धायल, सुमेर सिंह, भगवाना, वीर सिंह पायल सहित काफी लोग मौजूद रहे।
धरने में शामिल किसानों ने 1994 के समझौते के अनुसार झुंझुनू और चूरू जिले को उनके हिस्से का पानी दिलवाने की मांग की। किसानों का कहना है कि यमुना का जल झुंझुनू का हक है, जो कि हमें अब मिलना ही चाहिए। नहर की मांग कर रहे किसानों ने इस मुद्दे पर न्याय नहीं मिलने तक धरना व प्रदर्शन करने तथा अन्दोलन को तीव्र करने की बात दोहराई है।