रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया देश के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निरीक्षण
नई दिल्ली: भारत में परिवहन प्रणाली को नई दिशा देने के उद्देश्य से हाइपरलूप तकनीक पर कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को देश के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निरीक्षण किया। यह ट्रैक आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित किया गया है और इसकी लंबाई लगभग 422 मीटर है। इस ट्रैक पर ट्रेन 1000 किमी/घंटे की अद्भुत गति से दौड़ सकती है, जिससे भविष्य में परिवहन व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना है।

भविष्य का ट्रांसपोर्ट: हाइपरलूप तकनीक का बढ़ता प्रभाव
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्र सरकार देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर भविष्य के परिवहन साधनों में नवाचार को प्रोत्साहित कर रही है। आईआईटी मद्रास में विकसित इस हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पर लगातार शोध और परीक्षण किए जा रहे हैं। इस तकनीक के अंतर्गत एक विशेष प्रकार की ट्यूब बनाई जाती है, जिसमें वैक्यूम उत्पन्न कर ट्रेन को ट्रैक से ऊपर मैग्नेटिक लैविटेशन (चुंबकीय उत्तोलन) तकनीक की सहायता से संचालित किया जाता है। इसके सफल होने पर यह प्रणाली 300 किमी की दूरी मात्र 30 मिनट में तय करने में सक्षम होगी, जिससे यात्रा का समय नाटकीय रूप से घट जाएगा।
Longest Hyperloop tube in Asia (410 m)… soon to be the world’s longest.@iitmadras pic.twitter.com/kYknzfO38l
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 16, 2025
आईआईटी मद्रास के छात्रों का इनोवेशन: 1000 किलो क्षमता वाला पॉड
हाइपरलूप परियोजना में आईआईटी मद्रास के छात्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस परियोजना से जुड़े छात्र सचिन पांडे ने बताया कि वर्तमान में जो पॉड विकसित किया जा रहा है, उसकी परिवहन क्षमता 1000 किलोग्राम है। इसका अर्थ है कि यह पॉड 11 यात्रियों को या 1000 किलो सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सक्षम होगा। इस अत्याधुनिक प्रणाली से न केवल यात्रियों के लिए यात्रा तेज़ और सुविधाजनक होगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स और माल ढुलाई के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आएगा।
क्या है हाइपरलूप तकनीक?
हाइपरलूप एक नवीनतम परिवहन प्रणाली है, जिसमें पारंपरिक पहियों के बजाय चुंबकीय उत्तोलन तकनीक का उपयोग किया जाता है। इस प्रणाली में मुख्य रूप से निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
✔️ एलिवेटेड ट्रैक: यह प्रणाली खंभों के ऊपर बिछाई गई ट्रांसपेरेंट ट्यूब में संचालित होगी।
✔️ वैक्यूम ट्यूब: इसमें हवा का दबाव कम किया जाता है, जिससे घर्षण लगभग समाप्त हो जाता है और ट्रेन अत्यधिक गति प्राप्त कर सकती है।
✔️ अत्यधिक तेज़ गति: हाइपरलूप 1100-1200 किमी/घंटे तक की रफ्तार पकड़ सकता है, जो पारंपरिक रेल और हवाई यात्रा की तुलना में अधिक तीव्र है।
✔️ पर्यावरण अनुकूल: यह तकनीक कम ऊर्जा का उपयोग करती है और पारंपरिक डीजल या पेट्रोल चालित परिवहन की तुलना में कम प्रदूषण फैलाती है।

हाइपरलूप के संभावित लाभ
1️⃣ अत्यधिक तेज़ यात्रा: हाइपरलूप तकनीक के सफल होने पर दिल्ली से जयपुर जैसी दूरी मात्र 30 मिनट में तय की जा सकेगी।
2️⃣ पर्यावरण के अनुकूल: यह प्रणाली हरित ऊर्जा आधारित होगी और पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन करेगी।
3️⃣ ऊर्जा की बचत: हाइपरलूप बिजली से संचालित होगा, जिससे ईंधन की खपत और लागत दोनों में कमी आएगी।
4️⃣ सुरक्षित यात्रा: वैक्यूम ट्यूब में संचालित होने के कारण यह बाहरी मौसम की स्थिति और संभावित हादसों से सुरक्षित होगा।
5️⃣ लॉजिस्टिक्स में क्रांति: यह तकनीक माल परिवहन के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव ला सकती है, जिससे वस्तुओं की तेजी से डिलीवरी संभव होगी।
भारत के परिवहन क्षेत्र में नई क्रांति की शुरुआत
आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित हाइपरलूप तकनीक भारत के परिवहन भविष्य को नया आकार दे सकती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना की सराहना करते हुए कहा कि सरकार इस अत्याधुनिक प्रणाली को धरातल पर उतारने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यदि हाइपरलूप प्रणाली सफल होती है, तो यह भारतीय रेलवे और हवाई यात्रा के लिए एक मजबूत प्रतिस्पर्धी बन सकती है।