Monday, June 30, 2025
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राहुल गांधी पर कानूनी शिकंजा! असम में दर्ज हुई FIR, जानिए विवादित बयान का पूरा मामला

गुवाहाटी, असम: कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। हाल ही में दिए गए एक बयान के कारण उनके खिलाफ गुवाहाटी के पान बाजार पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई है। राहुल गांधी ने यह विवादित बयान 15 जनवरी 2025 को दिल्ली के कोटला रोड स्थित कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन समारोह में दिया था। इस बयान में उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा और आरएसएस ने भारत के हर एक संस्थान पर कब्जा कर लिया है और अब उनकी लड़ाई भाजपा, आरएसएस और भारतीय राज्य से है।

बयान के कारण एफआईआर दर्ज

राहुल गांधी के खिलाफ यह एफआईआर भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 152 और 197(1)डी के तहत दर्ज की गई है। शिकायतकर्ता मोनजीत चेतिया ने आरोप लगाया है कि इस बयान ने भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डाला है।

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भारत की संप्रभुता पर खतरे का आरोप

चेतिया ने अपनी शिकायत में कहा कि राहुल गांधी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा का उल्लंघन किया और उनके बयान से राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हुआ है। एफआईआर में यह भी उल्लेख किया गया है कि उनके बयान को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना गया है।

विद्रोह भड़काने का आरोप

मोनजीत चेतिया ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि उनका बयान देश में विद्रोह और अलगाववादी भावनाएं भड़का सकता है। उन्होंने कहा कि राहुल का यह कहना कि उनकी लड़ाई “भारतीय राज्य” के खिलाफ है, यह सीधे तौर पर जनता के बीच असंतोष और विद्रोह को बढ़ावा देने की मंशा को दर्शाता है। चेतिया ने यह भी कहा कि यह टिप्पणी उनकी चुनावी विफलताओं से उपजी हताशा को प्रकट करती है।

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लोकतांत्रिक जिम्मेदारियों का उल्लंघन

शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि एक विपक्षी नेता के रूप में राहुल गांधी की जिम्मेदारी है कि वे लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास बनाए रखें। इसके विपरीत, उन्होंने सार्वजनिक मंच का उपयोग झूठ और विद्रोह भड़काने के लिए किया, जिससे भारत की एकता और संप्रभुता खतरे में पड़ गई।

कानूनी कार्रवाई की मांग

मोनजीत चेतिया ने राहुल गांधी पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि राहुल गांधी ने लोकतांत्रिक तरीकों से जनता का समर्थन प्राप्त करने में असफल रहने के बाद अब भारतीय राज्य के खिलाफ असंतोष भड़काने का रास्ता चुना है। उन्होंने इसे बीएनएस की धारा 152 के तहत सीधी चुनौती करार दिया और कानून के दायरे में लाने की अपील की।

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