Friday, November 22, 2024
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राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना की मांग तेज़ की, संविधान सम्मान सम्मेलन में कहा – ’90 प्रतिशत लोग व्यवस्था से बाहर’

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को एक बार फिर से जातिगत जनगणना की मांग को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने कहा कि देश के 90 प्रतिशत लोग मौजूदा व्यवस्था से बाहर हैं और उनके हितों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। गांधी ने यह बयान ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ में दिया, जहां उन्होंने जातिगत जनगणना को नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण बताया।

गांधी ने कहा, “कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना नीति निर्माण की बुनियाद है। 90 प्रतिशत लोग इस व्यवस्था से बाहर बैठे हुए हैं। उनके पास हुनर और ज्ञान है, लेकिन उनका इस व्यवस्था से कोई जुड़ाव नहीं है। यही वजह है कि हमने जाति जनगणना की मांग उठाई है।”

जातिगत जनगणना: एक नीतिगत उपकरण

राहुल गांधी ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि समाज के विभिन्न तबकों की संख्या का पता लगाना आवश्यक है, ताकि उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना, नीति निर्माण का आधार है। यह नीति निर्माण का उपकरण है। हम बिना जातिगत जनगणना के भारत की वास्तविकता के बारे में नीतियां नहीं बना सकते।”

गांधी ने जातिगत जनगणना की तुलना संविधान से करते हुए कहा कि यह कांग्रेस के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है। उन्होंने कहा, “संविधान की तरह जातिगत जनगणना एक नीतिगत ढांचा है। जिस तरह हमारा संविधान मार्गदर्शक है और इस पर हर दिन हमला किया जा रहा है, उसी तरह जातिगत जनगणना, एक संस्थागत सर्वेक्षण है और हमारा दूसरा मार्गदर्शक होगा।”

संविधान की रक्षा के लिए जनगणना की मांग

गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना के जरिए कांग्रेस संविधान की रक्षा करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “हम आंकड़े चाहते हैं। कितने दलित, ओबीसी, आदिवासी, महिलाएं, अल्पसंख्यक, सामान्य जातियां हैं। हम जातिगत जनगणना की इस मांग के जरिए संविधान की रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “संविधान इस देश की आबादी के महज 10 प्रतिशत के लिए नहीं है, यह सभी नागरिकों के लिए है। यदि 90 प्रतिशत लोगों के पास भागीदारी के अधिकार नहीं हैं तो संविधान की रक्षा नहीं की जा सकती।”

प्रधानमंत्री पर आरोप, आरक्षण सीमा बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार राजाओं और महाराजाओं के मॉडल को दोहराने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “जो लोग समझते हैं कि जातिगत जनगणना रोकी जा सकती है या आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा नहीं बढ़ाई जा सकती, वे सपने देख रहे हैं। यह निश्चित तौर पर होगा, यह नहीं रुक सकता।”

गांधी ने आगे कहा, “जनादेश आ चुका है। प्रधानमंत्री को इसे स्वीकार करना चाहिए और इसे लागू करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करते तो कोई और प्रधानमंत्री बनेगा।”

भाजपा पर आरोप, वैचारिक संघर्ष जारी रहेगा

केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए गांधी ने कहा कि 2004 में राजनीति में आने के बाद से ही उन्हें भाजपा नेताओं द्वारा परेशान किया जाता रहा है। उन्होंने कहा, “मैंने भाजपा नेताओं को अपना गुरु माना जिन्होंने मुझे सिखाया कि क्या न करें। यह भाजपा के साथ एक विचारधारा की लड़ाई है और यह जारी रहेगी।”

गांधी ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के उलट, मैं अपने काम को अपनी जिम्मेदारी समझकर करता हूं ना कि इसलिए करता हूं कि लोग मुझे याद रखें। मेरी सोच है कि इस देश की 90 प्रतिशत ताकत, इस देश को बनाने में उपयोग की जाए।”

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