नई दिल्ली: संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के भाषण को लेकर भारतीय राजनीति में हंगामा मच गया है। भाजपा और हिंदुवादी संगठनों ने कांग्रेस नेता पर तीखे हमले किए हैं और उन्हें माफी मांगने की मांग की है। इस विवाद के बीच, भाजपा से निष्कासित नेता नूपुर शर्मा ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
नूपुर शर्मा का बयान
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के कारण दो साल से सोशल मीडिया से अनुपस्थित रहीं नूपुर शर्मा ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जो धर्म का विनाश करता है, धर्म उसका विनाश कर देता है।” नूपुर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “हिंसक हिंदू नहीं बल्कि वे हैं जो हिंदुओं के नरसंहार की बात करते हैं। धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।”
नूपुर शर्मा के इस पोस्ट के बाद उनके समर्थकों ने राहुल गांधी के खिलाफ जमकर नाराजगी जताई। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर राहुल गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका यह बयान राहुल गांधी के भाषण को लेकर था।
राहुल गांधी का भाषण और भाजपा की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सोमवार को राहुल गांधी के भाषण ने संसद में विवाद पैदा कर दिया। भाजपा ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने हिंदुओं को हिंसक बताया है। भाजपा इस बयान को लेकर बेहद आक्रामक है और राहुल से माफी की मांग कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी संसद में इस पर आपत्ति जताई है।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा, “सभी धर्मों और हमारे सभी महापुरुषों ने अहिंसा और निडरता की बात की है। वे कहते थे कि डरो मत, डराओ मत। शिवजी कहते हैं डरो मत, डराओ मत। वह अहिंसा की बात करते हैं। लेकिन जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं, वो 24 घंटे हिंसा, नफरत और असत्य की बात करते हैं।”
इस बयान के बाद सत्तापक्ष के सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर जोरदार तरीके से विरोध जताने लगे। राहुल ने आगे कहा, “आप हिंदू हैं ही नहीं। हिंदू धर्म में साफ लिखा है सत्य के साथ खड़ा होना चाहिए, सत्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। ये इसलिए चिल्ला रहे हैं, क्योंकि तीर दिल में जाकर लगा है।”
कांग्रेस की सफाई
कांग्रेस और विपक्ष ने राहुल गांधी के बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनका आरोप भाजपा पर था, न कि हिंदुओं पर। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी का उद्देश्य भाजपा की विचारधारा और उसकी राजनीति पर सवाल उठाना था।