नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बीकानेर में जनसभा को संबोधित करते हुए आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा:
“22 अप्रैल के आतंकवादी हमले का बदला सेना ने 22 मिनट में लिया। पाकिस्तान और आतंकियों को दिखा दिया कि जब सिंदूर बारूद बन जाए तो क्या होता है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि—
“गोलियां भले ही पहलगाम में चली हों, लेकिन 140 करोड़ देशवासियों का सीना छलनी हुआ था। हमारी बहनों की मांग का सिंदूर उजाड़ा गया। भारत की सेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।”

भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने भावनात्मक और राष्ट्रवादी लहजा अपनाते हुए कहा कि उनके “नसों में गर्म सिंदूर बह रहा है” और वह आतंक के खिलाफ हर कीमत पर लड़ेंगे।
राहुल गांधी का तीखा पलटवार: “खून सिर्फ कैमरों के सामने गरम क्यों?”
प्रधानमंत्री के इस भाषण के कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्ववर्ती ट्विटर) पर पोस्ट कर सीधे प्रधानमंत्री पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा:
“मोदी जी, खोखले भाषण देना बंद कीजिए।
आप सिर्फ इतना बताइए:
- आतंकवाद पर आपने पाकिस्तान की बात पर भरोसा क्यों किया?
- ट्रंप के सामने झुककर आपने भारत के हितों की कुर्बानी क्यों दी?
- आपका खून सिर्फ़ कैमरों के सामने ही क्यों गरम होता है?
क्या आपने भारत के सम्मान से समझौता कर लिया है?”
राहुल गांधी के इस पोस्ट ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है, खासकर तब जब देश लोकसभा चुनावों के अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है।

राजनीतिक विश्लेषण: आरोप-प्रत्यारोप की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी का भाषण भावनात्मक और राष्ट्रवादी मतदाताओं को साधने की रणनीति का हिस्सा है, वहीं राहुल गांधी का पलटवार विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री की विदेश और सुरक्षा नीति पर कठोर सवाल खड़े करता है।
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रो. अरुण मेहता का कहना है:
“मोदी की भाषा और imagery भावनाओं को उकसाने वाली है, जबकि राहुल गांधी का हमला रणनीतिक और तथ्यात्मक सवालों पर आधारित है।”