[ad_1]
पूर्वी राजस्थान की राजनीति का केंद्र बिंदु दौसा इस बार चुनाव से पहले ही चर्चा में है। यहां से सचिन पायलट समर्थक मंत्री मुरारी लाल मीना की प्रतिष्ठा दांव पर है। मुरारी लाल को पार्टी के अंदर से चुनौती मिल रही है। एक दर्जन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए दावेदारी की है। मुरारी लाल पर बाहरी होने का आरोप लगाया है। पर्यवेक्षकों के सामने जमकर नारेबाजी हुई है। दौसा में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के सामने बाहरी भगाओ-दौसा बचाओ के नारे लग गए। पर्यवेक्षकों खाचरियावास व राज्य बीज निगम अध्यक्ष धीरज गुर्जर ने बंद कमरे में दावेदारों से आवेदन लिए। इस दौरान युवाओं द्वारा बाहरी भगाओ की नारेबाजी से गहमागहमी देखने को मिली।
मंत्री मुरारी लाल बोले- 156 का हमारा टारगेट पूरा होगा
हालांकि, कांग्रेस के टिकट वितरण को लेकर मंत्री ने कहा कि जनता के प्रति जिसकी भावना है और जनता के लिए जिसने काम किया है। पार्टी उसे टिकट देगी और मुझे भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में 156 का हमारा टारगेट पूरा होगा। राज्य सरकार के कार्यकाल और भाजपा की केंद्र सरकार के 9 साल के शासन को जब तराजू में रखेंगे तो कांग्रेस का पलड़ा भारी होगा। मंत्री प्रताप सिंह के पहुंचते ही नारेबाजी शुरू हो गई, कई युवाओं ने ‘बाहरी भगाओ’ व सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे लगाए। दावेदारों के समर्थकों ने सर्किट हाउस के रिसेप्शन पर भी जमकर नारेबाजी की।इससे वहां गहमागहमी का माहौल बन गया।
दौसा सीट के जातीय समीकरण
सीएम अशोक गहलोत दौसा जिले की अहमियत जानते हैं। इसलिए तीन मंत्री दौसा जिले से बनाए है। स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश और कृषि विपणन मंत्री मुरारी लाल मीना। दौसा सीट सामान्य वर्ग के लिए है। 2011 के जनगणना के अनुसार 22 फीसदी एससी आबादी है। जबकि 26 फीसदी एसटी आबादी है। मीना और ब्राह्मणों की आबादी लगभग समान है। ऐसे में जिस दल को एससी वर्ग के वोट मिलेंगे वही चुनाव जीतेगा। मुरारी लाल 2013 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे, लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। दौसा कांग्रेस का परंपरागत तौर पर गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन बीजेपी में किरोड़ी लाल मीना के उभार के बाद एसटी वोटर्स कांग्रेस छिटक गया। इसका फायदा बीजेपी को चुनाव में मिलता रहा है। हालांकि, विधानसभा चुनाव 2018 में किरोड़ी लाल का वर्चस्व टूट गया है। कांग्रेस ने जिले की कुल पांच में से चार सीटों पर कब्जा कर लिया। जबकि महुवा से निर्दलीय ओमप्रकाश हुडला चुनाव जीते। बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था। राजपा से भाजपा में लौटे किरोड़ी से भाजपा को लाभ मिलने की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी।
दौसा के सियासी मुद्दे और विधानसभा में क्या है लोगों का मूड?
राजस्थान का दौसा जिला पूर्वी राजस्थान का प्रमुख केंद्र है। पूर्वी राजस्थान की सबसे बड़ी मांग ERCP की है। अपनी मांग को लेकर किसान कई बार सड़क पर बैठे। धरना दिया। रैली निकाली। मंत्री मुरारी लाल ने ईआरसीपी का पानी लाने का वादा किया था। ईआरसीपी पर गहलोत सरकार और केंद्र सरकार एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। ऐसे में मंत्री मुरारी लाल को पानी के मुद्दे पर जनता की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राजधानी जयपुर से सटे होने के बावजूद दौसा का औद्योगिक विकास नहीं हो पाया है। जबकि दौसा से जिले से तीन मंत्री है। इसके बावजूद विकास के नहीं हो पाया है। दौसा का सबसे बड़ा मुद्दा ईआऱसीपी है। मुरारी लाल के समर्थकों का कहना है कि केंद्र सरकार योजना में अंड़गे लगा रही है। जबकि बीजेपी का कहना है कि गहलोत सरकातर नहीं चाहती है कि ईआरसीपी योजना लागू हो।
कांग्रेस-बीजेपी में प्रमुख दावेदार
मुरारी लाल ने विधानसभा चुनाव 2018 में जनरल सीट दौसा से धमाकेदार जीत हासिल की थी। मुरारी लाल ने बीजेपी के शंकर लाल शर्मा को 50 हजार 948 वोटों से हराया था। कांग्रेस में एक दर्जन टिकट के दावेदार है। मुरारी लाल मीना के अलावा महेंद्र मीना और रामजीलाल मीना प्रमुख दावेदार है। जबकि बीजेपी में पूर्व विधाक शंकर लाल शर्मा और राधेश्याम मीना समेत आधा दर्जन दावेदार है। मंत्री मुरारी लाल मीना को सचिन पायलट कैंप का माना जाता है। ऐसे में लगभग मुरारी लाल मीना को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। बीजेपी में किरोड़ी लाल किसी उम्मीदवार की पैरवी नहीं करेंगे। मुरारी लाल और किरोड़ी में अंदर खाने समझौता होने की चर्चा है।
[ad_2]
स्त्रोत – Live Hindustan न्यूज़