वैंकूवर, कनाडा: कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियाँ लगातार उग्र होती जा रही हैं। हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें खालिस्तान समर्थकों का एक समूह कनाडा को अपना बताते हुए वहाँ के श्वेत नागरिकों को देश छोड़ने की धमकियां दे रहा है। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि खालिस्तान समर्थकों का एक जुलूस निकला है, और वीडियो के पीछे से एक व्यक्ति यह कह रहा है कि “कनाडा हमारा देश है। गोरे लोगों को यूरोप या इंग्लैंड वापस चले जाना चाहिए।”
वायरल वीडियो पर विवाद
दो मिनट के इस वीडियो में खालिस्तान समर्थकों ने कनाडा के श्वेत नागरिकों को ‘घुसपैठिया’ कहा है। वीडियो पोस्ट करने वाले एक व्यक्ति ने लिखा है, “खालिस्तानी सरे बीसी में मार्च करते हैं और दावा कर रहे हैं कि वो कनाडा के मालिक हैं और गोरे लोगों को यूरोप और इजराइल लौट जाना चाहिए। क्या हम इन लोगों को अपनी विदेश नीति तय करने की अनुमति दे सकते हैं?” इस विवादित बयान ने कनाडा में भारी विवाद खड़ा कर दिया है।
ट्रूडो सरकार के सामने नई चुनौती
खालिस्तान समर्थकों को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अगुआई वाली सरकार पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं, और अब इस घटना ने उनकी सरकार की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। आरोप हैं कि ट्रूडो सरकार ने खालिस्तान समर्थकों को संरक्षण दिया है, जिससे वे बेलगाम होते जा रहे हैं और सार्वजनिक स्थानों पर कनाडाई नागरिकों के खिलाफ इस तरह के बयान देने का साहस कर रहे हैं।
भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव
भारत लंबे समय से कनाडा से खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की अपील करता रहा है, लेकिन कनाडाई सरकार ने इस मामले पर अपेक्षित कदम नहीं उठाए। बल्कि, कनाडा ने उल्टा भारत पर खालिस्तान समर्थकों की हत्या का आरोप लगाया है। हाल ही में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में और अधिक तनाव देखने को मिला। कनाडा इस हत्या के लिए भारत को दोषी मानता है, जबकि भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों का असर और सुरक्षा चुनौती
कनाडा में खालिस्तान समर्थक अब न केवल खुलेआम इस तरह की गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, बल्कि सार्वजनिक रूप से कनाडाई नागरिकों को धमकियां भी दे रहे हैं। यह न केवल कनाडा की आंतरिक सुरक्षा बल्कि उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को इस विवाद के चलते राजनीतिक और सामाजिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
भारत की स्थिति
भारत ने बार-बार कनाडा से आग्रह किया है कि वह खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए, लेकिन कनाडा की सरकार ने भारत की इन मांगों को अनसुना किया है। भारत के दृष्टिकोण से, इस प्रकार के हालात कनाडा की सुरक्षा व्यवस्था और आतंकवाद विरोधी नीतियों पर सवाल खड़े करते हैं। खालिस्तान समर्थकों का यह व्यवहार कनाडा में भारतीय समुदाय के लिए भी एक चुनौती बन गया है।