Thursday, May 8, 2025
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महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर पीएम मोदी ने मांगी माफी

नई दिल्ली, 30 अगस्त 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे लिए केवल एक नाम नहीं हैं, वे हमारे आराध्य देवता हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना पर अपनी गहरी पीड़ा व्यक्त की और कहा कि उनके लिए छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान असहनीय है।

मूर्ति गिरने की घटना

यह घटना सोमवार को सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में घटित हुई थी, जहां मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा गिर गई थी। इस घटना ने महाराष्ट्र और पूरे देश में गहरा आक्रोश पैदा किया। छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी, आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में आराध्य माने जाते हैं।

“सावरकर को गाली देने वालों की तरह नहीं हैं हम”

प्रधानमंत्री ने अपनी माफी के साथ एक कड़ा संदेश भी दिया। उन्होंने कहा, “आज मैं अपने भगवान छत्रपति शिवाजी महाराज से सिर झुकाकर माफी मांगता हूं। हमारे संस्कार अलग हैं, हम वो लोग नहीं हैं जो भारत माता के महान सपूत, इस धरती के सपूत वीर सावरकर को गाली देते रहें और उनका अपमान करते रहें।” प्रधानमंत्री ने सावरकर का अपमान करने वालों पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए कहा कि वे माफी मांगने के बजाय अदालती लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।

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शिवाजी महाराज हमारे आराध्य देवता: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “जब 2013 में भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, तो सबसे पहले मैंने रायगढ़ किले में जाकर छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने बैठकर प्रार्थना की और उनका आशीर्वाद लिया। पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो कुछ भी हुआ, मेरे और मेरे सभी साथियों के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ एक नाम नहीं हैं, हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे आराध्य देवता हैं। मैं आज अपने आराध्य देव की चरणों में मस्तक रखकर माफी मांगता हूं।”

वधवन बंदरगाह की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री ने ये बातें वधवन बंदरगाह की आधारशिला रखने के अवसर पर कहीं। उन्होंने आज पालघर में कई विकास कार्यों का शुभारंभ भी किया। मोदी ने महाराष्ट्र के विकास की संभावनाओं पर जोर देते हुए कहा, “महाराष्ट्र के पास विकास के लिए सामर्थ्य भी है और जरूरी संसाधन भी हैं। यहां समुद्र के तट हैं और इन तटों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार का सदियों पुराना इतिहास भी जुड़ा हुआ है। इन अवसरों का पूरा लाभ महाराष्ट्र और देश को मिले, इसके लिए आज वधवन पोर्ट की नींव रखी गई है। यह देश का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट होगा, और यह दुनिया के सबसे गहरे पोर्ट में से एक महत्वपूर्ण पोर्ट होगा।”

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