मंड्रेला: वार्ड 25 में श्री बाल लच्छीराम श्रेणी रामलीला के चौथे दिन राम-सीता विवाह से लेकर राम वनवास तक का अद्भुत मंचन हुआ, जिससे दर्शक भावुक होकर आंसू बहाने लगे।
राम-सीता विवाह का हुआ भव्य मंचन
मंड्रेला कस्बे के वार्ड 25 में चल रही श्री बाल लच्छीराम श्रेणी रामलीला के चौथे दिन का शुभारंभ भगवान राम और माता सीता के विवाह से हुआ। जैसे ही माता सीता ने राम के गले में जयमाला डाली, पूरा परिसर “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। देवताओं की वेशभूषा में सजे कलाकारों ने पुष्पवृष्टि कर विवाह को दिव्य रूप दिया। घोड़ी पर सजी बारात, भव्य आतिशबाजी और पारंपरिक मिठाइयों के वितरण ने वातावरण को स्वर्गिक बना दिया।
कैकेई की जिद और दशरथ का विलाप
विवाह के उत्सव के बाद मंचन का भावनात्मक मोड़ तब आया जब मंथरा के उकसावे पर कैकेई ने महाराज दशरथ से भरत के लिए राजगद्दी और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा। इस दृश्य में पवन जांगिड़ ने राजा दशरथ की भूमिका निभाकर दर्शकों को रुला दिया। अनिल सिंघल ने कैकेई और नरेंद्र सिंघल ने मंथरा का अभिनय कर वातावरण को गहन भावनाओं से भर दिया। जब राम ने पिता की आज्ञा मानकर वनगमन का निश्चय किया, तो दशरथ का करुण विलाप इतना जीवंत था कि दर्शक अश्रुधारा बहाने लगे।
वनवास प्रस्थान के साथ भावुक समापन
चौथे दिन की रामलीला का समापन भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के वनगमन से हुआ। जैसे ही तीनों ने प्रस्थान किया, पूरा परिसर “सीता-राम” के जयघोष से गूंज उठा। दर्शकों की आंखें आंसुओं से भर आईं और वातावरण भक्ति, करुणा और अद्भुत उल्लास से सराबोर हो गया।