मंड्रेला – कस्बे में शनिवार को राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में शिवाजी कॉलोनी स्थित मोठा महादेव मंदिर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।सर्वप्रथम मौजूद गणमान्यजनों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया तथा सरस्वती वंदना की।
इस अवसर पर वक्ताओं ने राजस्थान दिवस के निर्माण के बारे में बताया और राजस्थान राज्य की विशेषताओं और प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता ऐडवोकेट ईशान मिश्रा ने कहा कि भाषा मात्र विचारों का आदान प्रदान ही नहीं बल्कि मनुष्य की पहचान का माध्यम भी है। मातृभाषा हमारे क्षेत्र का प्रतिबिंब है, जो कि पूरे देश में क्षेत्र को अनूठी पहचान दिलाता है। विश्व के विभिन्न देशों की संस्कृतियों में मातृभाषा को मां का दर्जा दिया गया है। भारत देश के दक्षिणी राज्यों के निवासियों का मातृभाषा के प्रति प्रेम किसी से छिपा नहीं है। विश्व की श्रेष्ठतम भाषाओं में 16वें स्थान पर हमारी मातृभाषा राजस्थानी है। राजस्थानी भाषा का इतिहास 12 सौ वर्ष पुराना है। भारत में आजादी से पूर्व राजपूताने की सभी रियासतों में राजस्थानी भाषा में ही काम होता था। इसके प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं। चैक विद्वान स्नेकल के अनुसार एशिया में लोक साहित्य का सबसे बड़ा भंडार राजस्थानी भाषा का ही है। राजस्थानी भाषा का नौ खंडों का शब्दकोश दुनिया के विशालतम शब्दकोशों में से एक है। राजस्थानी में एक-एक शब्द के पांच सौ पांच सौ पर्यायवाची उपलब्ध है। राजस्थानी भाषा बोलने वालों की संख्या लगभग 15 करोड़ बताई जाती है। जिनमें प्रवासी राजस्थानी भी शामिल है। मिश्रा में कहा लोकतंत्र में इतने लोगों की मातृभाषा को सरकार द्वारा स्वीकार न करना एक विचित्र एवं दुखद स्थिति है।राजस्थानी भाषा को संविधान में मान्यता न मिलने के कारण राजस्थानियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है । क्योंकि किसी राज्य की मातृभाषा ही उसकी उन्नति, प्रगति एवं संस्कृती में सहायक होती है।
इस अवसर पर रविंद्र सिंह निर्वाण, सत्येंद्र खन्ना, प्रमोद चेजारा, सुमराज वर्मा, अमित भार्गव, संतोष भौमिया, श्रवण योगी, अलकेश चेजारा, जितेंद्र खन्ना, दिव्यांशु सोनी आदि मौजूद रहे।