पाकिस्तान: भारत से बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की “तटस्थ जांच” का प्रस्ताव दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रविवार को कहा कि उनका देश इस हमले की किसी भी निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय जांच में भाग लेने के लिए तैयार है।
22 अप्रैल को हुए इस आतंकी हमले में भारत के 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे, जिसमें से अधिकांश उत्तर भारतीय राज्यों से थे। इस घटना को वर्ष 2000 के बाद का सबसे घातक आतंकवादी हमला करार दिया गया है। हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जिसे लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़ा समूह माना जाता है।

पठानकोट जैसा पैंतरा? भारत में गहरा संदेह
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह नया प्रस्ताव 2016 के पठानकोट आतंकी हमले के बाद की स्थिति से मेल खाता है, जब पाकिस्तान ने जांच के नाम पर एक ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (JIT) भारत भेजी थी। उस समय भी पाकिस्तान ने निष्पक्ष जांच का दावा किया था, लेकिन बाद में सामने आया कि उनकी मंशा महज दिखावा थी।
इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार इस बार अत्यधिक सतर्क है और पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठा रही है। भारत के उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि “डिप्लोमेसी को एक बार ठगाए जाने के बाद अब भारत फूंक-फूंक कर कदम रखेगा।”
भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ता तनाव
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत ने प्रतिक्रिया स्वरूप एकतरफा तौर पर सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया है। वहीं, पाकिस्तान ने जवाबी कदम उठाते हुए शिमला समझौते को स्थगित कर दिया है और भारतीय उड़ानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है।
भारत ने हमलावरों के सीमा पार रिश्तों के मजबूत सबूत प्रस्तुत किए हैं और पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, पाकिस्तान किसी भी तरह की संलिप्तता से साफ इनकार कर रहा है।

कश्मीर पर शहबाज शरीफ के उकसावे भरे बयान
काकुल स्थित पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी में पासिंग-आउट परेड के दौरान शहबाज शरीफ ने कहा,
“कश्मीर, पाकिस्तान की गले की नस है। कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना के शब्दों को दोहराते हुए मैं कहता हूं कि कश्मीर, पाकिस्तान के लिए जीवन और मृत्यु का सवाल है।”
इसके साथ ही शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कश्मीर मुद्दे पर “संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों” के तहत हल निकालने की अपील भी की। उन्होंने भारत पर “आरोप लगाने की आदत” और “विश्वसनीय सबूतों के बिना दोषारोपण” करने का आरोप लगाया।