नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (Space Docking Experiment – SPADEX) के तहत उपग्रहों को सफलतापूर्वक जोड़ने में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। इसरो ने इस उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए इसे अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इसरो के इस प्रयोग ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा ऐसा देश बना दिया है, जिसने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का सफल प्रदर्शन किया है।
डॉकिंग ट्रायल में भी रही थी सफलता
इससे पहले, 12 जनवरी को इसरो ने डॉकिंग के ट्रायल के दौरान दोनों उपग्रहों को तीन मीटर से भी कम दूरी पर लाकर पुनः सुरक्षित दूरी पर ले जाने का सफल परीक्षण किया था। इस परीक्षण का उद्देश्य अंतरिक्ष यान को परिशुद्धता से नियंत्रित करना और संभावित मिशनों के लिए आवश्यक तकनीक का विकास करना था। इसरो ने 30 दिसंबर 2024 को इस प्रयोग को लॉन्च किया था।
श्रीहरिकोटा से हुआ था प्रक्षेपण
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट के तहत पीएसएलवी सी60 रॉकेट की सहायता से दो छोटे उपग्रह, एसडीएक्स-01 (SDX01) और एसडीएक्स-02 (SDX02), को लॉन्च किया गया था। यह लॉन्च आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था। दोनों उपग्रहों को 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया।
अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक का महत्व
इसरो के अनुसार, स्पाडेक्स मिशन एक कॉस्ट-इफेक्टिव तकनीकी मिशन है, जो अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए डिजाइन किया गया है। अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक का उपयोग उन मिशनों में आवश्यक होता है, जहां सामान्य अभियान के लिए एक से अधिक रॉकेट लॉन्च करने की जरूरत होती है। भविष्य में अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़कर अधिक जटिल और दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों को संभव बनाया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री ने दी शुभकामनाएं
इसरो की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, “उपग्रहों की अंतरिक्ष डॉकिंग के सफल प्रदर्शन के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और संपूर्ण अंतरिक्ष बिरादरी को बधाई। यह सफलता भारत के आगामी महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।”