पाकिस्तान: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों में गहरी खाई पैदा कर दी है। इस हमले में निर्दोष पर्यटकों की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इसके बाद भारत सरकार ने सुरक्षा और कूटनीति दोनों मोर्चों पर आक्रामक रुख अपनाया है। इसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से भी बयानों की बौछार हुई है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में अस्थिरता और बढ़ गई है।

पाकिस्तान की धमकी – लेकिन कोई निर्णय नहीं
हालांकि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में शिमला समझौते को “निरर्थक दस्तावेज” करार दिया और द्विपक्षीय संवाद की रूपरेखा के समाप्त होने की बात कही, लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने उनके इस दावे पर ब्रेक लगा दिया है।
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार से बात करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“भारत के हालिया बयानों और कार्रवाइयों के चलते चर्चाएं तेज हुई हैं, लेकिन हमने भारत के साथ किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने का कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया है।”
इसका मतलब यह है कि 1972 का शिमला समझौता, सिंधु जल संधि और अन्य समझौते अब तक प्रभावी बने हुए हैं।
ख्वाजा आसिफ के विवादित बयान
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था:
“शिमला समझौता अब अप्रासंगिक हो चुका है। भारत-पाक के बीच जो द्विपक्षीय ढांचा था, वह अब खत्म हो गया है। अब आगे कोई भी विवाद केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ही सुलझाए जा सकते हैं।”
उन्होंने आगे यह भी कहा कि जब शिमला समझौते का कोई भविष्य नहीं है, तो सिंधु जल संधि जैसी अन्य संधियों का भविष्य भी अनिश्चित है।

क्या है शिमला समझौता?
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद 2 जुलाई 1972 को हुआ था। इसमें यह तय हुआ था कि दोनों देश आपसी विवादों का हल केवल द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से निकालेंगे और किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार नहीं करेंगे।
यह समझौता उस समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था।
इसका मकसद युद्ध के बाद शांति बहाल करना और भविष्य में किसी भी टकराव से बचना था।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने अब तक शिमला समझौते या किसी अन्य संधि को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत का रुख स्पष्ट रूप से कड़ा हो गया है।
भारत ने आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की मांग को और तेज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ आगे की रणनीति पर मंथन जारी है।