पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध के दौरान हुई हिंसा अब अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का विषय बन गई है। इस हिंसा पर बांग्लादेश की ओर से आई टिप्पणी के बाद भारत ने सख्त लहजे में प्रतिक्रिया दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश की यूनुस सरकार को आड़े हाथों लेते हुए दो टूक कहा कि उसे पहले अपने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नजर डालनी चाहिए, फिर भारत को सीख देने का प्रयास करना चाहिए।

भारत की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में बांग्लादेश की ओर से की गई टिप्पणी को “कपटपूर्ण और भ्रामक” बताया। उन्होंने कहा:
“हम पश्चिम बंगाल में हुई घटनाओं पर बांग्लादेश की सरकार द्वारा की गई टिप्पणियों को पूरी तरह खारिज करते हैं। यह भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली और कानून व्यवस्था के खिलाफ एक सोची-समझी बयानबाज़ी है, जिसमें बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यक उत्पीड़न से ध्यान भटकाने की कोशिश की गई है।”
बांग्लादेश पर गंभीर आरोप
रंधीर जायसवाल ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि:
“बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाएं जगजाहिर हैं। वहां ऐसे अपराधों के आरोपी न केवल कानून की पकड़ से बाहर हैं, बल्कि खुल्लमखुल्ला घूमते हैं। ऐसे में एक लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था वाले देश पर टिप्पणी करना बांग्लादेश सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करता है।”

भारत ने कहा— “अपनी व्यवस्था सुधारें, दूसरों को न सिखाएं”
भारत ने यह स्पष्ट किया कि देश में घटने वाली किसी भी घटना को लेकर भारत की न्यायिक प्रक्रिया और लोकतांत्रिक व्यवस्था पूरी तरह सक्षम है। भारत ने बांग्लादेश को परामर्श दिया कि उसे दूसरों को सीख देने से पहले अपने देश में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।