अमेरिका: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच अमेरिका ने एक बड़ा और स्पष्ट बयान जारी किया है। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को “अवैध और अस्वीकार्य” करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने के भारत के आरोपों से पूरी तरह सहमत है।
प्रवक्ता ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “यह कोई नई बात नहीं है। यह वह मुद्दा है जिसे अमेरिका दशकों से उठाता आ रहा है। हमने मध्य पूर्व में भी आतंकवाद के कारण आम जनजीवन को बर्बाद होते देखा है। कश्मीर में हुई हिंसा वैश्विक शांति के लिए खतरा है और इसे दुनिया भर में नकारा गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ संवेदनाएं प्रकट करता है।

संवाद की अपील, लेकिन मध्यस्थता से परहेज
टैमी ब्रूस ने कहा कि हालात गंभीर हैं लेकिन मौन रहने की बजाय भारत और पाकिस्तान को संवाद के रास्ते पर लौटना चाहिए। उन्होंने बताया कि अमेरिका इन दोनों देशों के वरिष्ठ नेताओं से लगातार संपर्क में है और पिछले दो दिनों में कई स्तरों पर बातचीत हुई है।
हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका मध्यस्थता की भूमिका निभाएगा, तो उन्होंने कहा, “यह स्थिति बेहद संवेदनशील है, और हम किसी भी कूटनीतिक बातचीत के विवरण साझा नहीं करते।”
ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान में हड़कंप
भारत द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत हाल ही में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने गुरुवार को भारत के करीब 15 शहरों – जिनमें जम्मू, श्रीनगर, अमृतसर, जैसलमेर, बठिंडा और जोधपुर शामिल हैं – को निशाना बनाने की कोशिश की।

भारतीय वायुसेना और थलसेना की सतर्कता के चलते ये सभी हमले नाकाम कर दिए गए। भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे ड्रोन, मिसाइल और लड़ाकू विमानों को मार गिराया गया। इसके तुरंत बाद भारतीय सेना ने करारा जवाब देते हुए कराची, लाहौर, सियालकोट और पेशावर जैसे शहरों में संयुक्त वायु-थल-नौसेना ऑपरेशन चलाया, जिससे पाकिस्तान के सैन्य अड्डों में हड़कंप मच गया।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को मिल रहा समर्थन
अमेरिका के इस सख्त रुख को भारत के रुख के प्रति वैश्विक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी पाकिस्तान से आतंकवाद पर लगाम लगाने की अपील कर चुके हैं।
भारत की विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान दर्शाता है कि अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की चिंताओं को गंभीरता से ले रहा है।