राजस्थान में सरकार ने नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद, यूआईटी, विकास प्राधिकरण और स्वायत्त शासन निदेशालय में कॉन्ट्रेक्ट पर लगे कर्मचारियों को हटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि इन संस्थाओं में 2 हजार से ज्यादा रिटायर्ड कर्मचारी काम पर लगे थे। जिन्हें या तो कॉन्ट्रेक्ट पर रखा था या पे माइनस पेंशन पर। नगरीय विकास विभाग ने इसके आदेश जारी किए हैं।दरअसल, प्रदेश की नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद के अलावा लगे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को हटाया गया है। पहले सरकार ने संविदा के रूप में ली जा रही सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी। अब नगरीय विकास एवं स्वास्थ्य शासन विभाग के अधीन निकायों में सेवानिवृत्ति उपरांत समेकित पारिश्रमिक, संविदा, पे-माइनस पेंशन अथवा अन्य किसी भी माध्यम से कार्यरत सेवानिवृत कर्मचारियों अधिकारियों की सेवाएं समाप्त की गई है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा के निर्देश पर दोनों विभागों ने संयुक्त आदेश जारी किया है। आदेश में यह भी लिखा गया है कि पालना रिपोर्ट बुधवार को ही भिजवाई जाए।
सूत्रों की मानें तो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय हर महीने करोड़ों रुपए सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों पर ही खर्च किया जा रहा था। इनकी जांच कराई तो सामने आया कि जिस मकसद से इन्हें रखा गया था, वो काम हो नहीं रहे है। यही वजह है कि यूडीएच मंत्री की पहली समीक्षा बैठक के बाद ही बेवजह लगे सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों को हटाने के संबंध में चर्चा हुई थी। अब आदेश निकालकर इनकी सेवाएं समाप्त की जा रही हैं।
आपको बता दें कि पूर्ववर्ती सरकार के समय बड़ी संख्या में यूडीएच, डीएलबी, जेडीए सहित कई निकायों में सलाहकार के नाम पर सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों को तैनात किया गया था।इससे पहले ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कई बड़े फैसले चुके हैं। सरकार ने पिछले दिनों ही एक आदेश जारी कर सभी मनोनीत पार्षदों को मनोनयन निरस्त कर दिया था। साथ ही बोर्ड व आयोगों के अध्यक्षों को भी हटाया जा चुका है।
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