चिड़ावा: शहर की गौशाला रोड स्थित जैन मंदिर के पास एक बुजुर्ग की मौत पर उनकी तीन बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए अंतिम संस्कार किया। इस घटना ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया है।
66 वर्षीय पवन कुमार भारतीय सांस की बीमारी से पीड़ित थे। शुक्रवार को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सीकर ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। पवन कुमार एक पान की दुकान चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनके तीन बेटियां हैं – पूनम (विवाहित), संगीता और रेखा (अविवाहित)।
बेटा न होने की स्थिति में बेटियों ने फैसला लिया कि वे अपने पिता का अंतिम संस्कार करेंगी। उन्होंने अंतिम पूजन के बाद अर्थी को कंधा दिया और श्मशान में पहुंचकर चिता को मुखाग्नि दी।
पवन कुमार के चार भाई हैं – विमल, महेंद्र, सूर्यकांत और लक्ष्मीकांत। इनमें पवन सबसे बड़े थे। अब पवन कुमार के परिवार की जिम्मेदारी उनकी तीनों बेटियों के कंधों पर आ गई है। उनकी एक बेटी एक निजी स्कूल में शिक्षिका है, जबकि अन्य दो बेटियां अभी पढ़ाई कर रही हैं।