नई दिल्ली: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत उठाए गए कड़े फैसलों में से एक—सिंधु जल समझौते को निलंबित करना—पाकिस्तान को सबसे अधिक खटक रहा है। इस फैसले के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल मच गई है और वहां की राजनीति में इस मुद्दे को लेकर लगातार उग्र टिप्पणियां की जा रही हैं। खासतौर पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत को लेकर आक्रामक बयान दिया है और पानी रोकने की स्थिति में युद्ध की धमकी तक दे डाली है।
बिलावल भुट्टो ने बयान दिया कि यदि भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो पाकिस्तान सभी छह नदियों का पानी लेने का दावा करेगा और युद्ध की राह से भी पीछे नहीं हटेगा। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि या तो उनका खून बहेगा या पानी। उनके इन बयानों को लेकर भारत सरकार की ओर से जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि पानी कहीं नहीं जाएगा, जो बोलना है बोलते रहें। उन्होंने कहा कि इस तरह की गीदड़भभकियों से भारत डरने वाला नहीं है और पाकिस्तान की राजनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत प्रतिक्रिया नहीं देगा।
गृह मंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत सिंधु जल समझौते को कभी बहाल नहीं करेगा। उनका यह बयान पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संकेत था कि भारत अब अपने संसाधनों का इस्तेमाल राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए करेगा। पाकिस्तान इस निर्णय से पूरी तरह बौखलाया हुआ है और बार-बार बयानबाजी के जरिये भारत पर दबाव बनाने की असफल कोशिश कर रहा है।
सिंधु जल समझौता वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था, जिसके तहत भारत ने पश्चिमी नदियों का अधिकांश पानी पाकिस्तान को देने की सहमति दी थी। अब जब भारत ने इसे निलंबित कर दिया है, तो पाकिस्तान की जल सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
भारत की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि जब तक आतंकवाद का समर्थन करने वाली नीति को पाकिस्तान नहीं छोड़ता, तब तक किसी भी प्रकार के पुराने समझौतों की पुनर्बहाली की कोई संभावना नहीं है। पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा अपनाया गया यह कड़ा रुख न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत की प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
पाकिस्तान में राजनीतिक विशेषज्ञ इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि भारत की इस कार्रवाई का सीधा असर उनकी जल आपूर्ति और कृषि पर पड़ेगा। वहीं, भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और संसाधनों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। बिलावल भुट्टो के बयानों से यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान अब बौखलाहट में भारत को गीदड़ भभकियों से डराने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत अपनी नीति पर अडिग है।
अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान इस मसले पर कूटनीतिक स्तर पर क्या कदम उठाता है और क्या वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मुद्दे पर हस्तक्षेप के लिए तैयार कर पाता है या नहीं। लेकिन भारत के रुख से यह स्पष्ट है कि अब उसका जल पर अधिकार और राष्ट्रीय हित किसी भी दबाव में नहीं डिगेगा।